अमेरिकी खुफिया एजेंसी सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी (सीआईए) ने भारत को दो प्रमुख हिंदुत्ववादी संगठनों को अपने वर्ल्ड फैक्टबुक में "धार्मिक उग्रवादी संगठन" बताया है। सीआईए अपनी वेबसाइट पर दुनिया भर के तथ्य सार्वजनिक करता है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी दुनिया भर में अपने खुफिया कार्रवाइयों के लिए जानी जाती है। सीआईए ने बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद को "राजनीतिक दबाव समूह" भी बताया है। सीआईए ने इन दोनों संगठनों के परिचय में लिखा है कि ये दोनों संगठन राजनीति में शामिल होते हैं और राजनीतिक दबाव बनाने का भी काम करते हैं लेकिन इनके नेता चुनाव नहीं लड़ते।
सीआईए ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), हुर्रियत कांफ्रेंस और जमायत उलेमा-ए-हिन्द को भी भारत में सक्रिय "राजनीतिक दबाव समूह" बताया है। सीआईए ने आरएसएस को "राष्ट्रवादी संगठन", हुर्रियत कांफ्रेंस को "अलगाववादी संगठन" और जमायत उलेमा-ए-हिन्द को "धार्मिक संगठन" बताया है। सीआईए हर साल वर्ल्ड फैक्टबुक प्रकाशित करता है। सीआईए द्वारा दी गयी जानकारी अमेरिकी सरकार के लिए संदर्भ का काम करती हैं। सीआईए अपने फैक्टबुक में दुनिया के विभिन्न देशों और संगठनों के इतिहास, अर्थव्यवस्था, ऊर्जा, भौगोलिक स्थिति, संचार व्यवस्ता, परिवहन, सैन्य शक्ति और सीमाविवाद इत्यादि की जानकारी देता है।
सीआईए के फैक्टबुक में 267 देशो से जुड़े आंकडे़ मौजूद हैं। सीआईए 1962 से फैक्टबुक प्रकाशित कर रहा है। 1975 से इस फैक्टबुक को सार्वजनिक किया जा रहा है। अमेरिकी सांसद और नीति-निर्माता सीआईए द्वारा तैयार की गयी फैक्टबुक का इस्तेमाल करते हैं। सीआईए फैक्टबुक प्रकाशित करने के अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति को प्रति दिन खुफिया जानकारी देता है। सीआईए अमेरिकी राष्ट्रपति को "राष्ट्रीय खुफिया अनुमान" भी उपलब्ध कराता है।
सीआईए फैक्टबुक में हिंदुत्ववादी संगठनों को उग्रवादी संगठन बताए जाने पर बीजेपी और आरएसएस के समर्थक एसोसिएट प्रोफेसर राकेश सिन्हा सीआईए की फैक्टबुक में दिए परिचय को खारिज किया।
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