मुंबईः सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से ही बॉलीवुड लोगों के निशाने पर है। नेपोटिज्म से शुरू हुई ये बहस अब हिंदी सिनेमा बनाम दक्षिण सिनेमा में तब्दील हो चुकी है। नेपोटिज्म के साथ-साथ अब इसके कंटेंट पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। पिछले कुछ समय से दक्षिण भारत की फिल्मों के प्रति हिंदी बेल्ट के दर्शकों में जिस तरह का चाव पैदा हुआ है, हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में ये चर्चा शुरू हो गई है कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है?
हाल ही में अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए तीन बदलाव की इच्छा जताई जो उन्हें ये महसूस कराती हैं कि इससे हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को बहुत नुकसान होता है। उन्होंने बॉलीवुड को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री नाम रखने का सुझाव दिया और फिल्मों की स्क्रिप्ट को रोमन की बजाय देवनागरी लिपि में रखने की सलाह देते हुए सेट पर अंग्रेजीयत वाले माहौल से छुटकारा पाने की जरूरत बताई।
अब इस बात को आगे बढ़ाते हुए देशद्रोह फिल्म के अभिनेता कमाल राशिद खान यानी केआरके ने कहा कि अगर बॉलीवुड को बचाना है तो उन अभिनेताओं, निर्देशकों, लेखकों को बाहर का रास्ता दिखा देना चाहिए जो ना हिंदी में बात करते हैं और ना ही हिंदी में लिखते हैं। केआरके का कहना है कि 95 प्रतिशत अभिनेताओं को स्क्रिप्ट के बारे में कुछ पता नहीं होता लेकिन उन्हें लगता है कि वह सबकुछ जानते हैं।
केआरके ने ट्वीट में लिखा- बॉलीवुड को अभी भी उन सभी फिल्म निर्माताओं, लेखकों और अभिनेताओं को बाहर निकालकर बचाया जा सकता है, जो हिंदी पढ़ और लिख नहीं सकते हैं। एक अन्य ट्वीट में अभिनेता ने कहा, फिर से दोहराते हैं कि हमारे 95% अभिनेता स्क्रिप्ट के बारे में कुछ नहीं जानते हैं लेकिन उन्हें लगता है कि वे सब कुछ जानते हैं। इसलिए 95 प्रतिशत फिल्में फ्लॉप होती हैं। यहां तक कि 95% फिल्म निर्माता और लेखक भी कहानी और पटकथा के बारे में कुछ नहीं जानते हैं। बॉलीवुड ने सभी अंग्रेजी बोलने वाले लेखकों और निर्देशकों का बहिष्कार किया जाना चाहिए।
केआरके ने यह भी कहा कि जब कोई नया हीरो लॉन्च होता है तो लोग उसकी पहली 5-6 फिल्में देखना पसंद करते हैं। फिर लोग उनकी एक्टिंग और काबिलियत को परखने लगते हैं। यही कारण है कि 70% अभिनेता जैसे इमरान खान. इमरान हाशमी, हरमन बावेजा, अर्जुन कपूर, विवेक ओबेरॉय आदि कुछ फिल्मों के बाद चले गए। कई और लाइन में हैं।
गौरतलब है कि पिछले दिनों संजय दत्त और सलमान खान ने भी बॉलीवुड स्क्रिप्ट में कमी का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि यहां फिल्में लिखनेवाले हीरोइज्म को भूल चुके हैं। संजय दत्त ने कहा था कि बॉलीवुड भूल गया है कि जब हीरो की एंट्री हो तो धूल उड़नी चाहिए।