लाइव न्यूज़ :

अटलांटिक महासागर के अंदर मिला 8.5 किमी चौड़ा गड्ढा, 6.6 करोड़ साल से छुपा था! जानिए क्यों खास है इसकी खोज

By विनीत कुमार | Updated: August 19, 2022 15:01 IST

अटलांटिक महासागर के अंदर वैज्ञानिकों ने 8 किलोमीटर से अधिक चौड़ा एक गड्ढा खोजा है। माना जा रहा है कि 6.6 करोड़ साल पहले एक एस्टरॉइड के टकराने से यह बना। इसके टकराने से धरती पर तब बड़ी तबाही मची होगी।

Open in App

नई दिल्ली: करोड़ों साल पहले पृथ्वी से क्या कोई बड़ा एस्टरॉइड टकराया था? इसे लेकर वैज्ञानिकों को एक और नया प्रमाण हाथ लगा है। दरअसल, अटलांटिक महासागर के अंदर वैज्ञानिकों को 8.5 किलोमीटर चौड़ा एक गड्ढा मिला है। यह गड्ढा समुद्र के तल से करीब 400 मीटर नीचे मिला है। ऐसे में वैज्ञानिक अंदेशा जता रहे हैं कि ऐसा क्षुद्रग्रह या एस्टरॉइड के टकराने की वजह से हुआ होगा। अटलांटिक महासागर में जहां यह गड्ढा मिला है वह जगह पश्चिम अफ्रीका के गिनी के तट से लगभग 400 किलोमीटर दूर पानी की गहराइयों में है।

हालांकि, इस खोज और इसके पीछे की वजह की पुष्टि होना बाकी है, पर वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यदि वे समुद्र तल में ड्रिल करने और नमूने एकत्र करने में सक्षम होते हैं, तो वे क्षुद्रग्रह के टकराने के प्रभाव के सिद्धांत को साबित कर सकते हैं जो संभवतः 66 मिलियन (6.6 करोड़ साल) वर्ष पहले हुआ था। यह वही कालखंड था जब चिक्सुलुब (Chicxulub) क्षुद्रग्रह पृथ्वी से टकराया और इसने डायनासोर का सफाया कर दिया।

ताजा खोज से संबंधित निष्कर्ष साइंस एडवांस जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि 'पृथ्वी के साथ बड़े क्षुद्रग्रहों या धूमकेतुओं के हाइपरवेलोसिटी प्रभावों को अभी भी ठीक तरीके से समझा नहीं जा सका है।'

...तब आई होगी एक किलोमीटर ऊंची सुनामी

शोधकर्ताओं ने कंप्यूटर सिमुलेशन या बनावट का उपयोग करते हुए क्रेटर के बारे में पता लगाने और बड़े पैमाने पर दुर्घटना के कारण और प्रभावों की पहचान करने में कामयाबी हासिल की। सिमुलेशन से ऐसे मिले कि गड्ढा 500-800 मीटर पानी में 400 मीटर चौड़े क्षुद्रग्रह के टकराने से बना था। इससे एक किलोमीटर से अधिक ऊंची सुनामी उत्पन्न हो सकती थी, साथ ही 6.5 या उससे अधिक की तीव्रता का भूकंप भी आया होगा।

इससे पैदा हुई उर्जा जनवरी 2022 के टोंगा में सुनामी से लगभग 1000 गुना अधिक होगी। रिजोना विश्वविद्यालय के प्लेटरी साइंटिस्ट डॉ वेरोनिका ब्रे ने कहा, 'ये प्रारंभिक सिमुलेशन हैं और जब हमें अधिक डेटा प्राप्त होता है तो इसे ठीक करने की आवश्यकता होती है, लेकिन ये उस प्रभाव के समय इस क्षेत्र में संभावित महासागर की गहराई और अन्य जानकारी को लेकर नया दृष्टिकोण दे रहे हैं।'

टॅग्स :साइंस न्यूज़
Open in App

संबंधित खबरें

भारतमिथकों की कहानियां और मानव उत्पत्ति का विज्ञान

भारतVIDEO: इसरो ने श्रीहरिकोटा से सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट CMS-03 लॉन्च किया

विश्ववैज्ञानिकों ने बनाया 'सुपरवुड', स्टील से भी 10 गुना ज़्यादा मज़बूत

विश्वNobel Prize in Physics 2025: जॉन क्लार्क, मिशेल डेवोरेट और जॉन मार्टिनिस को मिलेगा इस वर्ष का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार

विश्वAgastya Goel: कौन हैं अगस्त्य गोयल? भारतीय मूल के इस युवा ने अमेरिकी भौतिकी ओलंपियाड में रचा इतिहास, ट्रंप से की मुलाकात

ज़रा हटके अधिक खबरें

ज़रा हटकेVIDEO: AAP विधायक गोपाल इटालिया पर जूता फेंका, देखें वायरल वीडियो

ज़रा हटकेVIDEO: सीएम योगी ने मोर को अपने हाथों से दाना खिलाया, देखें वीडियो

ज़रा हटकेVIDEO: बारात में रसगुल्ले खत्म होने पर चली-कुर्सियां, मारपीट का वीडियो वायरल

ज़रा हटकेWATCH: रसगुल्ले के लिए घमासान, शादी समारोह में दूल्हा-दुल्हन के परिवारों के बीच मारपीट; बोधगया का वीडियो वायरल

ज़रा हटकेक्या पलाश मुच्छल पहुंचे प्रेमानंद महाराज की शरण में?, देखें वायरल फोटो