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Farmers Protest: Rakesh Tikait का ऐलान, किसानों के आंदोलन के लिए समर्थन जुटाने जल्द गुजरात जाऊंगा

By प्रतीक्षा कुकरेती | Published: February 22, 2021 11:41 AM2021-02-22T11:41:20+5:302021-02-22T11:42:00+5:30

कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे  किसान नेता राकेश टिकैत ने बड़ा बयान दिया है. अब उन्होंने ऐलान किया है कि कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने के लिए वो गुजरात का भी दौरा करेंगे.राकेश टिकैत ने रविवार को कहा कि गुजरात, महाराष्ट्र से कई किसान लगातार दिल्ली बॉर्डर पर जारी आंदोलन का हिस्सा बने हुए हैं. ऐसे में अब वो इन राज्यों में जाकर किसान आंदोलन को मजबूत करने की कोशिश करेंगे. टिकैत ने यह टिप्पणी दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर गाज़ीपुर में गुजरात और महाराष्ट्र के एक समूह से मुलाकात के दौरान की। गुजरात से आए किसानों ने रविवार को राकेश टिकैत को चरखा सौंपा. राकेश टिकैत ने कहा कि चरखा चलाकर गांधीजी ने अंग्रेजों को बाहर भेजा, हम भी चरखा चलाकर कंपनियों को बाहर भेजेंगे. हम गुजरात में जाकर किसानों को इकट्ठा करने का काम करेंगे.

टिकैत गाज़ीपुर बॉर्डर पर नवंबर से डेरा डाले हुए हैं। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने दावा किया कि किसान अंततः अपनी कृषि उपज का कोई हिस्सा नहीं ले पाएंगे क्योंकि नए कानून केवल कॉरपोरेट का पक्ष लेंगे।

गांव में दूध करीब 20-22 रुपये में खरीदकर शहर में व्यापारिक कंपनियों 50 रुपये में बेचती हैं-
एक उदाहरण बताते हुए उन्होंने कहा, “ गांव में दूध की कीमत करीब 20-22 रुपये प्रति लीटर होती है लेकिन जब यह बड़ी व्यापारिक कंपनियों के जरिए शहरों में पहुंचता है तो इसकी कीमत 50 रुपये प्रति लीटर से अधिक हो जाती है। “ बीकेयू की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक टिकैत ने कहा, “ बड़े व्यापारिक घराने खाद्यन्न का भंडारण करने के लिए बड़े-बड़े गोदाम बना रहे हैं और बाजार में (खाद्यन्न की) कमी होने पर वह इसे अपने पसंद की कीमत पर बेचेंगे।” टिकैत ने कहा, “ हम ऐसी स्थिति नहीं होने देंगे।

हम यह नहीं होने देंगे कि इस देश की फसल को कॉरपोरेट नियंत्रित करे-
हम सिर्फ इसे लेकर चिंतित हैं और हम यह नहीं होने देंगे कि इस देश की फसल को कॉरपोरेट नियंत्रित करे

रोहतक जिले की दर्जनों महिलाएं गाजीपुर में आंदोलन में शामिल हुईं
इस बीच, हरियाणा के रोहतक जिले की दर्जनों महिलाएं गाज़ीपुर में आंदोलन में शामिल हुईं और आंदोलन को अपना समर्थन देने का आश्वासन दिया। दिल्ली के सिंघू, टीकरी और गाज़ीपुर बॉर्डर पर हजारों किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों को रद्द करे तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने के लिए कानून बनाए। 

बता दें कि दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसानों के आंदोलन को करीब 3 महीने हो गए हैं. बीते कुछ दिनों से अब देश के अलग-अलग हिस्सों में किसान महापंचायतों का आयोजन किया जा रहा है. यूपी, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब के बाद अब ये गूंज बंगाल तक भी पहुंच गई है. साथ ही अब राकेश टिकैत ने गुजरात, महाराष्ट्र में भी ऐसी ही सभाओं की बात कही है.भारत सरकार और किसान संगठनों के बीच अभी तक 11 दौर की चर्चा हुई है. सरकार ने इन कानूनों को कुछ वक्त तक टालने की बात कही है, लेकिन किसान कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं. यही कारण है कि अभी कुछ वक्त से दोनों पक्षों में बातचीत रुकी हुई है.

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