नोएडा के इस बदनाम गांव निठारी में आज भूख पसरी हुई है. लॉकडाउन है सोशल डिस्टेंसिंग है लेकिन घर कैसे चले . ये वो हैं जो आपके हमारे घर को चलाने में हमारी मदद करती है लेकिन आज खुदका घर चलाना मुश्किल है. मुंह पर मास्क लगा है लेकिन पेट की चीख सुना जा सकती है. लोगों के घरों में काम करती थी लेकिन लॉकडाउन में बेरोज़गार है. कहीं से मदद भी नहीं मिलती दिख रही. अब घर में एक रुपया भी नहीं है. खाना खाएं या दवा समझ नहीं आता. इसीलिए पत्रकारों को देखते ही दौड़ कर आई. पास ही देश का दिल राजधानी दिल्ली है. यहां भी सब बंद है. सड़कों पर सुन्न पड़े ये ऑटो रिक्शा घरों में फांकों की कहानी कहते हैं. ये आखें लफ्ज़ों की मोहताज नहीं है. दर्द रिसता है, अपनी कहानी खुद कहता है, ये आंसू देख कर किसी का भी हलक सूख जाएं. 8 लोगों के परिवार में खाना भी पूरा नही मिलता. कहते हैं अब भिखारी महसूस करने लगे है.