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सैफई में बनाया जाएगा मुलायम सिंह यादव का विशाल स्मारक, 2027 के पहले ही बनकर होगा तैयार

By राजेंद्र कुमार | Published: November 01, 2023 5:38 PM

मुलायम सिंह यादव का पिछले वर्ष 10 अक्टूबर को निधन हो गया था। मुलायम सिंह यादव ने यूपी की राजनीति को अपने फैसलों के प्रभावित किया था। उन्होने यूपी ही नहीं देश भर मेँ यादव और मुस्लिम समाज के गठजोड़ को एक राजनीतिक ताकत के रूप मेँ बदला था।

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ठळक मुद्दे सैफई में एक विशाल स्मारक के निर्माण का शिलान्यास अखिलेश करेंगेमुलायम सिंह यादव के जन्मदिन 22 नवंबर को शिलान्यास कार्यक्रम होगा इस कार्यक्रम में देश भर के प्रमुख समाजवादी नेता शामिल होंगे

लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम सिंह यादव के नाम पर सैफई में एक विशाल स्मारक के निर्माण का शिलान्यास करेंगे। सपा के संस्थापक और यूपी के सीएम रहे मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन 22 नवंबर को शिलान्यास कार्यक्रम होगा। इस कार्यक्रम में देश भर के प्रमुख समाजवादी नेता शामिल होंगे। अमेरिका के लिंकन मेमोरियल के तर्ज पर यह स्मारक करीब 8.30 एकड़ में बनाया जाएगा। स्मारक के 4.30 एकड़ में पार्क होगा। इस स्मारक के जरिए सपा यादव और पिछड़े समाज को एक राजनीतिक ताकत बनाने के लिए मुलायम सिंह यादव के योगदान को जनता के बीच रखेगी। सपा नेताओं का दावा है कि मुलायम सिंह का स्मारक यादव और पिछड़े समाज की एकता का स्मारक होगा।

अखिलेश ने गिराई भाजपा पर गाज 

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) पहले ही ऐसा कर चुकी है। बसपा ने डा.भीमराव अंबेडकर और कांशीराम द्वारा दलित समाज के उत्थान के लिए किए गए प्रयासों को दलित समाज तक पहुंचाने के लिए लखनऊ और नोएडा में उनके भव्य स्मारक बनवाए थे। बसपा ने यह कार्य सरकार के पैसे से किया था, जबकि सपा अपने नेता मुलायम सिंह यादव के स्मारक का निर्माण पार्टी के पैसे से करेगी। सपा मुखिया अखिलेश का दावा है कि वर्ष 2027 के पहले ही स्मारक के निर्माण का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। सैफई से ही स्मारक के निर्माण को लेकर अखिलेश यादव का कहना है कि सैफई के प्रति नेताजी (मुलायम सिंह) का विशेष लगाव था, इसलिए वहीं इसे बनाने का फैसला लिया गया है।

मुलायम सिंह यादव का पिछले वर्ष 10 अक्टूबर को निधन हो गया था। मुलायम सिंह यादव ने यूपी की राजनीति को अपने फैसलों के प्रभावित किया था। उन्होने यूपी ही नहीं देश भर मेँ यादव और मुस्लिम समाज के गठजोड़ को एक राजनीतिक ताकत के रूप मेँ बदला था। उनके निधन के बाद मुलायम सिंह यादव के यादव-मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली है। अब कहा जा रहा है कि अखिलेश ने सैफई में मुलायम सिंह के स्मारक का निर्माण करने का ऐलान कर भाजपा के मंसूबों पर गाज गिरा दी है।

सैफई में दिखाएंगे अपनी ताकत 

सपा नेताओं के अनुसार, विधानसभा चुनावों के बाद से ही भाजपा नेता सपा पर परिवारवाद और यादव समाज की राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं। यहीं नहीं भाजपा लगातार सपा के कांग्रेस के साथ रिश्तों को लेकर भी अनर्गल प्रचार कर रही है। ताकि राज्य में यादव और मुस्लिम समाज मेँ भ्रम फैले। भाजपा की इस राजनीति को भांपते हुए ही अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव का स्मारक बनाए जाने का फैसला किया है। अखिलेश के इस फैसले से जहां मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक महत्व के बारे में लोग जानेंगे , वही दूसरी तरफ यादव समाज को अपने इस नेता पर गर्व होगा जैसा कि दलित समाज को डा. भीमराव अंबेडकर और कांशीराम को लेकर होता है।

इसका लाभ आगामी लोकसभा चुनावों में सपा को होगा। विपक्षी गठबंधन के साथी भी अखिलेश की अगुवाई में यूपी में चुनाव लड़ने में आनाकानी नहीं करेंगे। ऐसे में मुलायम सिंह के जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रम में अखिलेश यादव अपने पिता की विरासत और योगदान को याद करने के विपक्षी दलों के बड़े नेताओं को जमावड़ा सैफई में लगाकर अपनी ताकत का प्रदर्शन करेंगे। इसी बहाने अखिलेश यादव सैफई को सपा की राजनीतिक संभावनाओं और स्वीकार्यता को भी दिखाने का मंच बनाएंगे और इंडिया गठबंधन के नेताओं की उपस्थिति इसके लिए जमीन तैयार करेगी।

स्मारक की खासियत 

मुलायम सिंह यादव का बनाया जाने वाला स्मारक अमेरिका के लिंकन मेमोरियल के तर्ज पर बनाया जाएगा। करीब 8.30 एकड़ में बनाए जाने वाले उक्त स्मारक में 4.30 एकड़ में पार्क होगा. इसके अलावा इसमें एक लोककला संग्रहालय भी होगा, जिसमें यूपी की शिल्प व स्थानीय कलाकृतियों का प्रदर्शन किया जाएगा। प्रवेश द्वार से लेकर स्मृति सभागार तक आर्ट गैलरी बनेगी, जिसमें मुलायम की राजनीतिक-सामाजिक यात्रा के चित्र उकेरे जाएंगे. स्मृति सभागार में मुलायम की कांस्य प्रतिमा स्थापित की जाएगी। सभागार में बनाए जाने वाले स्तंभ सम्राट अशोक के लुंबिनी, मेरठ व प्रयागराज में मिल स्तंभों के तर्ज पर विकसित किए जाने की भी योजना है। स्तंभों से लेकर स्मारक के अन्य हिस्सों पर भी पत्थर एवं धातुओं से मुलायम के किस्सों को उकेरा जाएगा। स्मारक के बीच में एक चौक होगा, जो स्मारक की शांति और भव्यता की अनुभूति कराएगा। डा.अंबेडकर और कांशीराम के स्मारकों में भी कुछ इसी तरह से  से उनकी राजनीतिक यात्राओं का उकेरा गया है। इस स्मारक के निर्माण पर कितनी धनराशि खर्च होगी? इसके बारे में अखिलेश यादव चुप्पी साध लेते हैं। उनका कहना है कि ख़र्च की चिंता ना करें।

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