जैसे आम लोग अपने काम के लिए बैंकों से लोन लेते है, उसी तरह बैंक अपने काम के लिए रिजर्व बैंक से लोन लेते हैं। इस लोन बैंक जिस रेट से ब्याज चुकाते हैं उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट का सीधा असर आम लोगों पर पड़ता है, क्योंकि अगर रेपो रेट ज्यादा होगा तो बैंकों को महंगा लोन मिलेगा और वो अपने ग्राहकों को ज्यादा रेट पर लोन देंगे। वहीं अगर रेपो रेट कम होगो तो कों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध होगा और वो भी ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकते हैं। Read More
Financial Changes from August 2025: नई यूपीआई सीमा, विस्तारित रेपो बाजार समय और संभावित ईंधन मूल्य परिवर्तन 1 अगस्त, 2025 से प्रभावी होने वाले प्रमुख वित्तीय अपडेट में से हैं। ...
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय एमपीसी ने भी अपनी अप्रैल की नीति में रुख को ‘तटस्थ’ से बदलकर ‘उदार’ करने का फैसला किया। ...
Reserve Bank of India: आरबीआई ने 2024-25 की अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा कि भारत में सालाना उत्पादित बैंक नोट के टुकड़ों या उससे बने ब्रिकेट (टुकड़ों को मिलाकर बनाया गया ब्लॉक) का कुल वजन 15,000 टन रहा है। ...