उड़ीसा राज्य का पुरी क्षेत्र जिसे पुरुषोत्तम पुरी, शंख क्षेत्र, श्रीक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है, भगवान श्री जगन्नाथ जी की मुख्य लीला-भूमि है। उत्कल प्रदेश के प्रधान देवता श्री जगन्नाथ जी ही माने जाते हैं। यहाँ के वैष्णव धर्म की मान्यता है कि राधा और श्रीकृष्ण की युगल मूर्ति के प्रतीक स्वयं श्री जगन्नाथ जी हैं। इसी प्रतीक के रूप श्री जगन्नाथ से सम्पूर्ण जगत का उद्भव हुआ है। श्री जगन्नाथ जी पूर्ण परात्पर भगवान है और श्रीकृष्ण उनकी कला का एक रूप है। ऐसी मान्यता श्री चैतन्य महाप्रभु के शिष्य पंच सखाओं की है। पूर्ण परात्पर भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथपुरी में आरम्भ होती है। यह रथयात्रा पुरी का प्रधान पर्व भी है। इसमें भाग लेने के लिए, इसके दर्शन लाभ के लिए हज़ारों, लाखों की संख्या में बाल, वृद्ध, युवा, नारी देश के सुदूर प्रांतों से आते हैं। Read More
भगवान जगन्नाथ को समर्पित स्नान पूर्णिमा पर्व यहां स्थित बारहवीं शताब्दी के मंदिर में शुक्रवार को पहली बार श्रद्धालुओं की अनुपस्थिति में मनाया गया। लॉकडाउन के प्रतिबंधों के चलते श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश करने की मनाही थी। धार्मिक आयोजन के दौरान ...
आषाढ़ के महीने में ही देवशयनी एकादशी पड़ती है। जिसे हिन्दू शास्त्रों में महत्पूर्ण बताया गया है। आषाढ़ के महीने में लोगों को ज्येष्ठ माह की गर्मी से राहत मिलती है। ...
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति (एसजेटीएमसी) ने दो दिन पहले मंदिर परिसर के बाहर रथ निर्माण की अनुमति मांगी थी जिसके बाद राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है। ...
पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर के सेवादारों के एक धड़े ने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से अनुरोध किया है कि कोविड-19 संकट के बीच वह बेहद छोटे स्तर पर वार्षिक रथयात्रा निकालने की अनुमति दें। रथयात्रा आयोजन से जुड़े सेवादारों के एसोसिएशन दैतापति निजोग ने ...
ओडिशा के पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर में हर साल होने वाली वार्षिक रथ यात्रा की तैयारियों की शुरुआत के रूप में होने वाली ‘‘चंदन यात्रा’’ और ‘‘अक्षय तृ्तीया’’ अनुष्ठान रविवार को कोरोना वायरस की महामारी के चलते मंदिर परिसर में ही संपन्न हुआ। सामान्य ...