जगन्ननाथ मंदिर के सेवादारों ने उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से इस चीज की मांगी अनुमति, मंदिर समिति ने लिखा पत्र

By भाषा | Published: May 1, 2020 03:29 PM2020-05-01T15:29:33+5:302020-05-01T15:29:33+5:30

jagannath temple committee writes latter to the CM for rath yatra | जगन्ननाथ मंदिर के सेवादारों ने उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से इस चीज की मांगी अनुमति, मंदिर समिति ने लिखा पत्र

जगन्ननाथ मंदिर के सेवादारों ने उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से इस चीज की मांगी अनुमति, मंदिर समिति ने लिखा पत्र

पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर के सेवादारों के एक धड़े ने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से अनुरोध किया है कि कोविड-19 संकट के बीच वह बेहद छोटे स्तर पर वार्षिक रथयात्रा निकालने की अनुमति दें। रथयात्रा आयोजन से जुड़े सेवादारों के एसोसिएशन दैतापति निजोग ने तर्क दिया है कि वार्षिक रथयात्रा कभी नहीं रुकी है, फिर चाहे दोनों विश्वयुद्ध हुए या बंगाल का अकाल आया।

पटनायक को बुधवार को लिखे पत्र में एसोसिएशन ने उनसे आग्रह किया है कि वे श्रद्धालुओं की भागीदारी के बगैर रथयात्रा का आयोजन करने की अनुमति दें। गौरतलब है कि भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा की इस रथयात्रा में हर साल हजारों-लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं।

दैतापति निजोग के सचिव दुर्गा प्रसाद दासमहपात्र ने कहा, ‘‘पत्र में हमने लिखा है कि अतीत में कभी रथयात्रा नहीं रोकी गयी है, फिर चाहे कैसी भी आपदा आयी हो। 1866 में बंगाल के अकाल के दौरान और ‘‘बांबे इंफ्लूएंजा’’, जो 1918 से 1920 तक चला था, के दौरान भी रथ यात्रा हुई थी। बांबे इंफ्लूएंजा में करीब 10 लाख लोग मरे थे।’’? उन्होंने कहा कि यह यात्रा पहले और दूसरे विश्व युद्ध, भारत-पाकिस्तान के बीच 1947, 1948 और 1965 में हुई लड़ाई के दौरान तथा देश की आजादी से पहले फैली महामारियों के दौरान भी कभी बंद नहीं हुई।

सेवादारों के पत्र में लिखा है, ‘‘मध्यकाल के कुछ दस्तावेजों/साहित्य में उल्लेख मिलता है कि 16वीं और 17वीं शताब्दी में मुसलमानों के आक्रमण के दौरान रथयात्रा रुकी थी, और इस रिवाज को सांकेतिक तौर पर किया गया था। लेकिन ऐसी घटनाओं को उदाहरण के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए।’’

दासमहापात्र ने कहा कि एसोसिएशन ने राज्य सरकार को सलाह दी है कि वह रथयात्रा में शामिल होने वाले सभी लोगों की जांच कर ले। उन्होंने कहा कि श्रद्धालु 23 जून को टीवी पर रथयात्रा देख सकते हैं। दैतापति निजोग के एक अन्य एसोसिएशन के गणेश दासमहापात्र ने कहा कि सदस्य जल्दी ही ‘गजपति महाराज’ (पूर्ववर्ती राज परिवार के सदस्य) दिव्य सिंह देव और गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती से मिलकर मामले पर चर्चा करेंगे।

इससे पहले, 12वीं सदी के मंदिर जगन्नाथ की वाद-विवाद सुलझाने वाली सर्वोच्च पीठ मुक्ति मंडप ने कहा था कि महामारी के कारण अगर इस साल रथयात्रा का आयोजन नहीं होता है, तो उसमें कोई हानि नहीं है। लेकिन, साथ ही उसने कहा था कि सरकार सीमित संख्या में सेवादारों के साथ रथयात्रा का आयोजन कर सकती है। वहीं, गजपति महाराज तथा श्री जगन्ननाथ मंदिर प्रबंधन समिति के प्रमुख देब ने पहले ही कहा था कि मंदिर केन्द्र और राज्य सरकारों के सभी दिशा-निर्देशों का पालन करेगी। वहीं, सूत्रों का कहना है कि पटनायक ने हाल ही में इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बातचीत की है। हालांकि दोनों के बीच क्या बातचीत हुई, अभी तक इसकी जानकारी नहीं मिली है।

Web Title: jagannath temple committee writes latter to the CM for rath yatra

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