देश में इस वर्ष भीषण गर्मी की भविष्यवाणी के बीच चिंता पैदा करने वाली एक और खबर आई है। देश की सभी बड़ी नदियों का जलस्तर तेजी से गिर रहा है जिससे देश का बड़ा हिस्सा स्थायी जल संकट की चपेट में आ सकता है। ...
इस पर बोलते हुए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मार्टिन ग्रिफिथ ने पत्रकारों से कहा कि सोमालिया यात्रा के दौरान उन्होंने भूख के कारण बच्चों को रोते हुए देखा है। इससे यह पता चलता है कि वहां हालात कितने बुरे है। ...
विकास के नाम पर पिछले दशकों में प्रकृति से बरती गई क्रूरता का खमियाजा अब मनुष्यों को भुगतना पड़ रहा है. कहीं भूस्खलन हो रहे हैं, कहीं हिमस्खलन तो कहीं एक के बाद हो रही बादल फटने की घटनाएं भी लोगों को आतंकित किए हुए हैं. ...
इटली में सूखे और बढ़ते हुए तापमान की समीक्षा करते हुए सोमवार को सरकार ने घोषणा की कि आपातकाल की स्थिति कम से कम एक वर्ष तक लागू रहेगी। सरकार गर्म और शुष्क परिस्थितियों से लड़ने के लिए और कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त धन का प्रबंध करेगी। ...
रेगिस्तान या मरुस्थल के रूप में बंजर, शुष्क क्षेत्रों का विस्तार होता जा रहा है. इसके लिए हम मानव ही दोषी हैं. अति दोहन एवं प्रकृति के प्रति उपेक्षा के कारण ऐसा हो रहा है. ...
दक्षिणी बिहार में हालात ऐसे हो गये हैं कि समय रहते अच्छी बारिश नहीं होने और नहर में पानी नहीं आने के कारण किसान काफी मायूस हैं. सरकारी स्तर पर भी किसानों को कोई खास लाभ नहीं मिल पा रहा है. ...
यह अब उजागर हो चुका है कि हमने अपने पारंपरिक जल संसाधनों की जो दुर्गति की है, जिस तरह नदियों के साथ खिलवाड़ किया है, खेतों में रासायनिक खाद व दवा के प्रयोग से सिंचाई की जरूरत में इजाफा किया है, इसके साथ ही धरती का बढ़ता तापमान, भौतिक सुखों के लिए पान ...