भीषण गर्मी की मार, कश्मीर में भी बनने लगे सूखे के हालात, हालात नहीं सुधरे तो एक-एक बूंद को तरसेंगे हजारों लोग
By सुरेश एस डुग्गर | Published: June 10, 2022 12:04 PM2022-06-10T12:04:46+5:302022-06-10T12:04:46+5:30
श्रीनगर समेत दक्षिण कश्मीर के सभी जिलों की जनता पूरी तरह से झेलम के पानी पर ही निर्भर है। हालांकि इसमें पानी की भारी कमी हो गई है।
जम्मू: कहा तो यही जाता है कि कश्मीर में पानी ही पानी है पर कश्मीर के उन हजारों परिवारों के लिए विकट परिस्थिति पैदा हो गई है जो दरिया झेलम के पानी पर पूरी तरह से निर्भर हैं। इस नदी में पानी के स्तर में तेजी से कमी आई है।
बाढ़ एवं नियंत्रण विभाग के इंजीनियर फरीद ने भी इसे स्वीकार किया है कि दक्षिण कश्मीर से निकलने वाले झेलम में श्रीनगर में पानी का स्तर मात्र आधा फुट हो चुका है।
यह सब कश्मीर में बारिश न होने के कारण है। अधिकारी मानते हैं कि सूखे के हालात पैदा हो सकते हैं। अगले कुछ दिनों तक अगर यह सूखा जारी रहा तो धान की फसल नहीं उगाई जा सकेगी। पहले ही दक्षिण कश्मीर के किसानों को इस बार धान की फसल न रोपने की सलाह दी जा चुकी है।
दरअसल श्रीनगर समेत दक्षिण कश्मीर के सभी जिलों की जनता पूरी तरह से झेलम के पानी पर ही निर्भर है। श्रीनगर शहर की हालत भी बिगड़ सकती है। दरअसल पीने का पानी सप्लाई करने वाली दो स्कीमें भी अब इसलिए बंद कर देनी पड़ी हैं क्योंकि जिन स्थानों पर इन्हें स्थापित किया गया है वहां झेलम के पानी का स्तर आधा फुट रह गया है।
हालात यह है कि बढ़ते तापमान के कारण पानी के स्रोत्र सूखते जा रहे हैं और लोगों को जबरदस्त परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बढ़ता तापमान मार्च और अप्रैल में अपना भयानक रूप दिखा चुका है। सिर्फ जम्मू ही नहीं बल्कि कश्मीर के कई भागों में भी पहली बार इतने तापमान को देख कश्मीरी तौबा तौबा करने को मजबूर हुए थे।
सामान्य से 8 से 12 डिग्री अधिक तापमान होने के परिणामस्वरूप इस बार गुलमर्ग में मार्च में ही स्कीइंग प्रतिबंधित कर दी गई थी। ऐसा इसलिए क्योंकि स्कींइग वाले स्थानों पर बर्फ तेजी से पिघलने लगी थी। गर्मी के कारण मार्च और अप्रैल में कश्मीर से पर्यटक भी दूरी बनाने लगे थे। जबर्दस्त ट्यूलिप के फूलों पर जल्द मुरझाने का खतरा भी पैदा कर दिया था जिसे इस गार्डन को बार समय से पहले बंद कर देना पड़ा था।