2011 से भी ज्यादा भयावह इस साल के अन्त में पड़ सकता है सोमालिया में अकाल: संयुक्त राष्ट्र
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 5, 2022 05:12 PM2022-09-05T17:12:14+5:302022-09-05T17:17:14+5:30
इस पर बोलते हुए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मार्टिन ग्रिफिथ ने पत्रकारों से कहा कि सोमालिया यात्रा के दौरान उन्होंने भूख के कारण बच्चों को रोते हुए देखा है। इससे यह पता चलता है कि वहां हालात कितने बुरे है।
मोगादिशु:संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि सोमालिया में “अकाल दरवाजे पर खड़ा है” और इस बात के “ठोस संकेत” हैं कि इस साल के अंत तक यह देश में दस्तक दे देगा। आपको बता दें कि देश में सूखे के कारण हजारों लोगों की मौत हो गई है और यूक्रेन युद्ध के प्रभाव के चलते हालात और मुश्किल हो गए हैं।
सोमालिया को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने क्या कहा
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मार्टिन ग्रिफिथ ने पत्रकारों से कहा कि सोमालिया यात्रा के दौरान उन्होंने भूख के कारण बच्चों को रोते हुए देखा, जिसके बाद वह बीते कुछ दिन से बहुत दुखी हैं। सोमालिया में जलवायु परिवर्तन के कारण पैदा हुए सूखे के चलते बीते एक दशक में कम से कम 10 लाख लोग विस्थापित हुए हैं। गौरतलब है कि इथोपिया और केन्या भी इससे व्यापक रूप से प्रभावित हुए हैं।
2011 में आई थी सोमालिया में आकाल
अकाल के दौरान भोजन की अत्यधिक कमी हो जाती है और भुखमरी के कारण होने वाली मृत्यु की दर बढ़ जाती है। सोमालिया में साल 2011 में भी अकाल की घोषणा की गई थी। माना जाता है कि उस दौरान ढाई लाख लोगों की मौत हुई थी।
2011 से भी ज्यादा भयावह होगा इस साल का अकाल-संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार एजेंसी
अफगानिस्तान में भी आ सकता है अकाल
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र (संरा) ने आगाह किया था कि बढ़ती गरीबी से जूझ रहे अफगानिस्तान के 60 लाख लोगों पर अकाल से प्रभावित होने का खतरा मंडरा रहा है। संरा के मानवीय सहायता प्रमुख ने दानदाताओं से अनुरोध किया कि वे आर्थिक विकास के लिए वित्त मुहैया करना फिर से शुरू करें और ठंड के मौसम में अफगानिस्तान की मदद के लिए तुरंत 77 करोड़ अमेरिकी डॉलर मुहैया करें।
मार्टिन ग्रिफिथ्स ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया कि मानवीय, आर्थिक, जलवायु, भुखमरी और वित्तीय संकट जैसे कई संकटों का अफगानिस्तान सामना कर रहा है। आपको बता दें कि संघर्ष, गरीबी, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और खाद्य असुरक्षा लंबे समय से अफगानिस्तान की एक दुखद वास्तविकता रही है।