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सिर्फ सती और पार्वती ही नहीं यह देवी भी थीं भगवान शिव की पत्नी

By मेघना वर्मा | Updated: June 18, 2018 09:12 IST

देवी पार्वती को प्यार और दया की देवी भी कहा जाता है। इन्हें देवी सती के दूसरे रूप में भी बताया जाता है।

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देवों में सबसे भोले, क्रोध में सबसे तेज और भक्तों के भण्डार भरने वाले भगवान शिव की भक्ति लोगों के बीच देखते ही बनती है। बुराई का विनाश करके अच्छाई को सबके सामने लाना हो या हर रूप में भक्तों की मदद करनी हो भगवान शिव हर रूप में अपने भक्तों को पसंद आते हैं। पूरे देश में सबसे ज्यादा आपको शिव शंकर के ही भक्त देखने को मिलेगें। भोले बाबा के साथ उनकी पत्नि माता पार्वती की पूजा भी लोग करते हैं। जिन दम्पत्तियों को अपना शादी-शुदा जीवन खुशी से बिताना होता है वो शंकर और पार्वती की पूजा करते हैं। भोले बाबा की पत्नी के रूप में आपने भी हमेशा पार्वती या सती को पूजा होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनकी और भी कई पत्नियां थीं। जी हां, हमारे पौराणिक कथाओं में इस बात का जिक्र है कि भगवान शिव की सती और पार्वती के अलावा भी कई पत्नियां थीं। आइए बताते हैं आपको शिव की अन्य पत्नियों के बारे में। 

देवी पार्वती

देवी पार्वती को प्यार और दया की देवी भी कहा जाता है। इन्हें देवी सती के दूसरे रूप में भी बताया जाता है। पर्वतों के राजा हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मी पार्वती को बचपन में ही शिव जी इतने भा गए कि उन्होंने प्रण ले लिया था कि वह शिव को प्राप्त कर ही लेंगी। इसके लिए ना सिर्फ उन्होंने कई कठिन तपस्या की बल्कि विशेष रूप से भोलेबाबा की प्रार्थना भी की। इतनी तपस्या देखकर भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्हें अपनी पत्नि के रूप में स्वीकार कर लिया। 

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देवी सती

राजा दक्ष की पुत्री होने के साथ इन्हें सौभाग्य की देवी भी कहा जाता रहा है। इन्हें भोलेबाबा की सबसे पहली पत्नी के रूप में जाना जाता है। कथाओं की मानें तो भगवान शिव देवी सती से इतना प्यार करते थे की उनकी मौत के बाद उन्होंने तांडव करना शुरू कर दिया था। कहा जाता है कि देवी सती बचपन में देवर्षि नारद के मुख से शिव जी की कथाएँ सुनती आ रही थीं तभी से उन्होंने मन ही मन उन्हें अपना पति मान लिया था। उन्होंने भी भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या की थी। जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी माना था। 

देवी महाकाली

देवी महाकाली को भी भगवान शिव की पत्नी माना जाता है। इनका जन्म बुराई का नाश करने के लिए हुआ था। अपने भक्तों की रक्षा के लिए देवी काली रौद्र रूप ले लेती हैं और असुरों का विनाश कर देती हैं। माँ काली की उत्पत्ति के पीछे की एक कथा इस प्रकार है, कहते हैं जब दारुक नामक असुर के अत्याचार से सभी देवता परेशान हो गए तब उन्होंने माँ पार्वती से उसका वध करने की प्रार्थना की जिसके पश्चात भोलेनाथ के आज्ञा अनुसार माता ने महाकाली का रूप धारण किया और दारुक का नाश कर दिया। 

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देवी गौरी

पौराणिक एक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने अपने काले रंग को छिपाने के लिए काली देवी के रूप में अपना अवतार लिया। उनका काला रंग माता पार्वती के गोरे रंग में मिल गया जिन्हें गौरी देवी के नाम से विख्यात है। 

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