अस्थमा में बेहद फायदेमंद हैं ये 3 एक्सरसाइज, फेफड़े बनेंगे मजबूत, कोरोना से होगा बचाव
By संदीप दाहिमा | Updated: January 8, 2022 19:09 IST2022-01-08T18:42:56+5:302022-01-08T19:09:54+5:30

ब्रीदिंग एक्सरसाइज दिमाग को शांत करने, ऊर्जा को संतुलित करने,मूड को स्थिर करने और एकाग्रता स्तर को बढ़ाने में मदद करती हैं। हम आपको कुछ ऐसी ब्रीदिंग एक्सरसाइज बता रहे हैं जिन्हें रोजान करने से फेफड़ों को स्वास्थ्य और मजबूत बनाने में मदद मिल सकती है।

उज्जायी प्राणायाम- इसके अभ्यास से एकाग्रता में सुधार हो सकता है, तनाव कम करने तापमान नियंत्रित रखने और फेफड़ों के कार्य को बढ़ावा मिल सकता है। अपनी आंखों को बंद करें और रीढ़ को सीधा रखते हुए किसी भी ध्यान मुद्रा में जमीन पर बैठ जाएं। अपने श्वासनली से जाने वाली हवा को महसूस करते हुए, अपने मुंह से लंबी सांस अंदर और बाहर लें। एक बार जब आप अपने सांस छोड़ते के सहज हो जाते हैं, तो वायु के मार्ग को बाधित करने के लिए अपने गले के पीछे दबाव डालें। आपका गला सांस लेते समय एक तेज आवाज करना शुरू कर देगा।

कपालभाति प्राणायाम फेफड़ों के लिए एक बेहतर प्राणायाम है. इस तरह का प्राणायाम आपके एकाग्रता स्तर को बढ़ाने और फेफड़ों की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए बेहतर है। अपने हाथों को घुटनों पर, हथेलियों को ऊपर की ओर रखते हुए, कमल मुद्रा में जमीन पर आराम से बैठ जाएं। अपनी रीढ़ को सीधा रखें। अपनी नाक के माध्यम से एक गहरी सांस लें और जैसे ही आप सांस छोड़ते हैं अपनी नाभि और पेट को रीढ़ की ओर खींचें। अपनी नाभि और पेट को आराम देते हुए अपनी नाक के जरिये जल्दी से सांस लें। इस प्रक्रिया को 10 बार दोहराएं और फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ें।

नाड़ी शोधन प्राणायाम को नासिका श्वास के रूप में भी जाना जाता है. इस तरह का श्वास व्यायाम तनाव के स्तर को प्रबंधित करने, चिंता को कम करने और समग्र कल्याण को बढ़ावा देने में मदद करता है। जमीन पर अपने पैरों को मोड़कर और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखकर आराम से बैठ जाएं। इस स्थिति में खुद को सहज बनाने के लिए धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें। अपने अंगूठे और तर्जनी के सिर को जोड़कर अपने बाएं हाथ को अपनी जांघ पर ध्यान मुद्रा में रखें। अपने मध्य और तर्जनी को मोड़कर अपने दाहिने हाथ को नासाग्र मुद्रा में लाएं। दाहिने नथुने को अपने दाहिने हाथ के अंगूठे से बंद करें। अपनी बाईं नासिका से गहरी सांस लें और फिर अपनी अंगूठी और छोटी उंगली से इसे बंद करें। अपना दाहिना नथुना खोलें और सांस छोड़ें। फिर अपने दाहिने नथुने से सांस लें और अपने अंगूठे से बंद करें। फिर से अपने बाएं नथुने को खोलें और सांस छोड़ें।

कोरोना वायरस महामारी का संकट भी जारी है और यह भी सांस की ही बीमारी है। जाहिर है इस दोहरी मार से बचने के लिए अस्थमा के मरीजों को अपना बहुत ज्यादा ध्यान रखना चाहिए। कोरोना फेफड़ों को प्रभावित करता है जिससे मरीज को सांस लेने में परेशानी होती है और वो दम तोड़ देता है।

















