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भगत ने पैरालंपिक में ऐतिहासिक बैडमिंटन स्वर्ण पदक जीता, मनोज को कांसा

By भाषा | Updated: September 4, 2021 17:20 IST

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मौजूदा विश्व चैम्पियन प्रमोद भगत ने शनिवार को यहां पुरूष एकल एसएल3 वर्ग में ऐतिहासिक बैडमिंटन स्वर्ण पदक जीता जबकि मनोज सरकार ने कांस्य पदक अपने नाम किया जिससे भारत ने तोक्यो पैरालंपिक खेलों में शानदार प्रदर्शन जारी रखा। भगत ने फाइनल में ब्रिटेन के डेनियल बेथेल को हराया जबकि सरकार ने तीसरे स्थान के प्लेऑफ में जापान के दाइसुके फुजीहारा को मात दी। दोनों ही खिलाड़ियों ने सीधे गेम में जीत दर्ज की। बैडमिंटन इस साल पैरालंपिक खेलों में पदार्पण कर रहा है। दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी भगत इस तरह खेल में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बन गये। शीर्ष वरीय भारतीय और एशियाई चैम्पियन भगत ने योयोगी नेशनल स्टेडियम में 45 मिनट तक चले रोमांचक फाइनल में दूसरे वरीय बेथेल को 21-14 21-17 से मात दी। भुवनेश्वर का 33 साल का यह खिलाड़ी अभी मिश्रित युगल एसएल3-एसयू5 वर्ग में कांस्य पदक की दौड़ में बना हुआ है। भगत और उनकी जोड़ीदार पलक कोहली रविवार को कांस्य पदक के प्लेऑफ में जापान के दाईसुके फुजीहारा और अकिको सुगिनो की जोड़ी से भिड़ेंगे। एसएल3-एसयू5 वर्ग में भगत और पलक की जोड़ी को सेमीफाइनल में इंडोनेशिया की हैरी सुसांतो एवं लीएनी रात्रि आकतिला से 3 - 21, 15 - 21 से हार का सामना करा पड़ा। चार वर्ष की उम्र में पोलियो के कारण उनका बायां पैर विकृत हो गया था । उन्होंने विश्व चैम्पियनशिप में चार स्वर्ण समेत 45 अंतरराष्ट्रीय पदक जीते हैं । बीडब्ल्यूएफ विश्व चैम्पियनशिप में पिछले आठ साल में उन्होंने दो स्वर्ण और एक रजत जीते । 2018 पैरा एशियाई खेलों में उन्होंने एक स्वर्ण और एक कांस्य जीता । वर्ष 2019 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार और बीजू पटनायक पुरस्कार से नवाजा गया। वहीं 31 वर्षीय सरकार जब एक साल के थे तो पोलियो से ग्रस्त हो गये थे। उन्होंने फुजीहारा के खिलाफ शानदार जज्बा दिखाते हुए 22-20 21-13 से जीत हासिल की। पुरूष एकल की एसएल3 वर्ग के सेमीफाइनल में वह ब्रिटेन के बेथेल से 8-21 10-21 से हार गये थे। लेकिन उन्होंने हार के बाद वापसी करते हुए कांसा अपने नाम किया। सरकार ने पांच साल की उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू किया था लेकिन अपने बड़े भाईयों के खिलाफ जीत के बाद ही वह इस खेल के प्रति जुनूनी हुए जिसके बाद उन्होंने गंभीरता से खेलना शुरू किया। वह सक्षम खिलाड़ियों के खिलाफ अंतर स्कूल प्रतिस्पर्धा में खेले जिसके बाद उन्होंने 2011 में पैरा बैडमिंटन में खेलना शुरू किया। उन्होंने बीजिंग में 2016 एशियाई चैम्पियनशिप के एसएल3 एकल में स्वर्ण पदक जीता। 2018 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार मिला। सुहास यथिराज और कृष्णा नागर भी अपनी अपनी वर्ग में पुरूष एकल फाइनल में पहुंच चुके हैं। एसएल3 वर्ग में उन खिलाड़ियों को हिस्सा लेने की अनुमति होती है जिनके पैर में विकार हो।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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