नई दिल्ली: देश में महिला आरक्षण विधेयक को लेकर हर तरफ चर्चा जोरों पर है। जानकारी के अनुसार सोमवार शाम में मोदी मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी है। जिसे आज संसद के आयोजित विशेष सत्र में पेश किया जाएगा।
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस दावा कर रही है कि महिला आरक्षण विधेयक उसके द्वारा बनाया गया, जिसे मोदी सरकार चुनावी फायदे के लिए संसद में पेश करने जा रही है। हालांकि कांग्रेस समेत विपक्ष के अधिकांश दलों ने महिला आरक्षण विधेयक का स्वागत किया है और उसके समर्थन का ऐलान किया है।
समाचार वेबसाइट इंडिया टुडे के अनुसार संसद के विशेष सत्र के दौरान आज लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश किया जाएगा। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करने वाले विधेयक के बारे में सूत्रों से जो जानकारी छनकर आ रही है, उसके अनुसार महिला आरक्षण विधेयक में एससी/एसटी महिलाओं को अलग से आरक्षण का प्रवधान किया जा सकता है।
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन में संसद के विशेष सत्र शुरू होने से पूर्व मंगलवार को कहा कि 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' नामक विधेयक यह सुनिश्चित करेगा कि अधिक महिलाएं संसद और विधानसभाओं की सदस्य बनें।
विशेष सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को लोकसभा ने एक नोटिस जारी कर बताया कि यह बिल निचले सदन के सत्र में अर्जुन राम मेघवाल पेश करेंगे। महिला आरक्षण विधेयक के प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं:
यह विधेयक लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण देगा, लेकिन राज्यसभा या विधान परिषदों को इससे बाहर रखा जा सकता है।
इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि मोदी सरकार महिला आरक्षण विधेयक में एससी और एसटी समुदाय की महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण का प्रावधान कर सकती है।
इस बिल में यह भी सुनिश्चित किया जा सकता है कि किसी भी दो महिला सांसदों को एक सीट पर चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं होगी। विधेयक में ओबीसी श्रेणी की महिलाओं के लिए आरक्षण को बाहर रखा गया है। इस बिल को आज लोकसभा में पेश किया जा सकता है।
जहां तक चुनावी परिसीमन का सवाल है कि तो उसकी प्रक्रिया शुरू होने के बाद सीटों का आरक्षण लागू हो जाएगा और 15 वर्षों तक जारी रहेगा। प्रत्येक परिसीमन प्रक्रिया के बाद लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों का चक्रानुक्रम होगा।
महिला आरक्षण विधेयक को लेकर मोदी सरकार ने स्पष्ट किया है कि वो इस विधेयक के जरिये राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर नीति-निर्माण में महिलाओं की अधिक भागीदारी को सक्षम बनाना चाहते हैं।