लखनऊः समाजवादी पार्टी (सपा) ने गुरुवार को विधानसभा में जातीय जनगणना का मुद्दा उठाकर सूबे की राजनीति को गरमा दिया है. सपा विधायक संग्राम सिंह ने सदन में बिहार की तर्ज पर प्रदेश में भी जातीय जनगणना कराये जाने की मांग की. उनकी इस मांग पर संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा केंद्र सरकार ही जातीय जनगणना कराने का फैसला ले सकती है, यह राज्य का विषय नहीं है.
उनके इस जवाब से असंतुष्ठ होकर सपा और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के विधायक विरोध करते हुए वेल में आ गए और योगी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने वेल में आ गए विधायकों को अपने स्थान पर जाने का निर्देश दिया, लेकिन सपा विधायकों ने उनकी बात नहीं मानी.
इसी बीच शिवपाल सिंह यादव भी वेल में बैठे विधायकों का साथ देने वेल में आ गए और देखते ही देखते सदन में जातीय जनगणना कराये जाने की मांग ने तूल पकड़ लिया तो विधानसभा अध्यक्ष को दो बार विधानसभा की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा. इसके बाद भी यह प्रकरण खत्म नहीं हुआ.
राज्यपाल के अभिभाषण पर हो रही चर्चा में बोलते हुए सपा मुखिया और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने भी यूपी में जाति जनगणना कराए जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि बिना जाति जनगणना के सबका साथ सबका विकास नहीं हो सकता है. प्रदेश सरकार को बताना चाहिए कि सरकार इस मांग से पीछे क्यों हट रही है?
सपा ने पहले भी जाति जनगणना कराये जाने की मांग की है और अब भी इसके पक्ष में हैं कि यूपी में जाति जनगणना की जानी चाहिए. इसके पहले गुरुवार को सदन में सपा विधायक संग्राम सिंह और मनोज पाण्डेय ने प्रश्न पहर में सरकार से यह जानना चाहा कि क्या योगी सरकार बिहार की तर्ज पर यूपी में जाति जनगणना कराएगी.
क्या प्रदेश सरकार बताएगी कि यूपी में जाति जनगणना कब से शुरू होगी? इस पर संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा, जनगणना का विषय संविधान के अनुच्छेद-246 के तहत केंद्र सरकार के अधिकार में है. केंद्र सरकार ही जनगणना पर निर्णय ले सकती है. रही बात यूपी की प्रदेश अब बिहार से बहुत आगे बढ़ रहा है.
बिहार में जहां जातिवाद है, चारा खाने वाले हैं, उसके जैसी संकीर्णता की ओर हाँ उत्तर प्रदेश को नहीं ले जाना चाहते. संसदीय कार्यमंत्री के इस जवाब के बाद सपा के विधायक वेल में आ गया और दलित-पिछड़ा विरोधी योगी सरकार नहीं चलेगी का नारा लगाते हुए वेल में धरना देते हुए बैठ गए.इस कार्न दो बार विधानसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. फिर भी यह मुद्दा अभी खत्म नहीं हुआ है.
जातिगत जनगणना के लिए 10 दिवसीय अभियान कल से:
अब 24 फरवरी से सपा प्रदेश भर में जातिगत जनगणना के लिए 10 दिवसीय अभियान शुरू कर रही है. इस अभियान का मकसद अगले लोकसभा चुनावों के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी ) को अपनी तरफ खींचना है. इस अभियान के तहत पार्टी राज्य के 822 ब्लॉकों में सार्वजनिक सेमिनार आयोजित करेगी, जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी जिले से होगी.
इस अभियान का सीधा मकसद जातिगत जनगणना के लिए समर्थन जुटाना है. सपा नेतृत्व ने इस अभियान की जिम्मेदारी पार्टी के ओबीसी प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष राजपाल कश्यप को सौंपी है.वाराणसी से अभियान शुरू करने के फैसले पर राजपाल कश्यप ने कहा कि पीएम मोदी के पास जातिगत जनगणना का आदेश देने की पावर है.
यही वजह है कि इस अभियान की शुरुआत उनके निर्वाचन क्षेत्र से की जा रही है. सपा नेताओं को लगता है कि इस अभियान के चलते राज्य में पार्टी की दलित और पिछड़े वर्ग पर पकड़ मजबूत होगी. बीते विधानसभा चुनाव में भी पार्टी का फोकस पिछड़ा वर्ग पर था.
इसकी मदद से पार्टी को 32 फीसदी वोट शेयर के साथ 111 विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी. सपा के इस कदम ने राज्य की चुनावी शतरंज की बिसात को व्यवहारिक रूप से ध्रुवीय राजनीति में बदल दिया था. और अब इसे अपने पक्ष में भुनाने के लिए ही सपा ने सूबे में जातिगत जनगणना के मुद्दे को तेजी देना शुरू किया है.