नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली आशीष मिश्रा की याचिका पर सुनवाई 20 जनवरी के लिए स्थगित कर दी। इस बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट को बताया कि मामले में आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए हैं। कोर्ट ने नोट किया कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश लखीमपुर खीरी की रिपोर्ट कहती है कि केस को पूरा होने में 5 साल लगेंगे क्योंकि मामले में 208 गवाह हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2022 में आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी पर विचार करते हुए उत्तर प्रदेश की ट्रायल कोर्ट से रिपोर्ट मांगी थी। आशीष मिश्रा केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे हैं। मिश्रा पर 3 अक्टूबर 2021 को हुई उस घटना के लिए हत्या का मामला चल रहा है, जिसमें चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी। मिश्रा ने कथित तौर पर केंद्र के तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों पर अपना वाहन चलाया।
उन्हें 9 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था और फरवरी 2022 में जमानत दे दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने सत्र अदालत से पूछा था कि उस अदालत में अन्य लंबित या प्राथमिकता वाले मुकदमों की समय-सारणी से समझौता किए बिना लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की सुनवाई पूरी करने में सामान्य तौर पर कितना समय लगने की संभावना है। पीठ आशीष मिश्रा की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही है।
सुनवाई के दौरान पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता से इस बात की पुष्टि करने को कहा कि क्या घटना में कथित रूप से किसानों को रौंदने वाली एसयूवी में सवार तीन लोगों की हत्या के मामले में दर्ज एक अलग मुकदमे में नामजद चार आरोपी अभी भी हिरासत में हैं। पिछले साल छह दिसंबर को निचली अदालत ने लखीमपुर खीरी में किसानों को कुचलने के मामले में मिश्रा और 12 अन्य के खिलाफ हत्या, आपराधिक साजिश और अन्य अपराधों में आरोप तय किए थे, जिससे सुनवाई की शुरुआत का रास्ता साफ हो गया था।
मामले के अन्य आरोपियों में अंकित दास, नंदन सिंह बिष्ट, लतीफ काले, सत्यम उर्फ सत्य प्रकाश त्रिपाठी, शेखर भारती, सुमित जायसवाल, आशीष पांडेय, लवकुश राणा, शिशु पाल, उल्लास कुमार उर्फ मोहित त्रिवेदी, रिंकू राणा और धर्मेंद्र बंजारा शामिल हैं। सभी आरोपी फिलहाल जेल में हैं।
(भाषा इनपुट के साथ)