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कोविड-19 के मद्देनजर बच्चों के लिए बनाया जाए कार्यबल, जल्द हो टीके का परीक्षण : सत्यार्थी

By भाषा | Updated: June 6, 2021 13:13 IST

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(अनवारुल हक)

नयी दिल्ली, छह जून कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर में हजारों बच्चे अनाथ हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कुछ राज्य सरकारों ने इन बच्चों की मदद की घोषणा भी की है। इस बीच, कई विशेषज्ञों ने तीसरी लहर आने और इसमें बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने की आशंका भी जताई है। इन्हीं बिंदुओं पर पेश हैं नोबेल पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी से 'भाषा' के पांच सवाल और उनके जवाब :

सवाल : कोरोना वायरस की तीसरी लहर आने पर बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने की आशंका को देखते हुए देश में सरकारों के स्तर पर अभी से क्या प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए?

जवाब : इस संबंध में मैंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि बच्चों के मामले में यह बहुआयामी विपदा है, लिहाजा इससे प्रभावी तरीके से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक कार्यबल का गठन किया जाए। इसमें इन विषयों के विशेषज्ञ हों। बाल मनोवैज्ञानिकों और बाल मनोचिकित्सकों को भी शामिल किया जाए। कोरोना संकट का असर घरों में कैद बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। इसपर भी केंद्र और राज्य सरकारों को ध्यान देना होगा।

सवाल : कोरोना महामारी की दूसरी लहर में हजारों बच्चे अनाथ हो गए। उनके लिए कुछ घोषणाएं भी की गई हैं। ऐसे बच्चों की देखभाल के लिए आपका सरकारों को क्या सुझाव होगा?

जवाब : केंद्र सरकार से लेकर तमाम राज्य सरकारों ने अनाथ बच्चों की मदद के लिए कई योजनाओं की घोषणा की है। यह स्वागत योग्य है। लेकिन असल सवाल यह है कि कैसे सभी अनाथ बच्चों की पहचान हो सके और उन तक मदद पहुंच सके? गरीब और वंचितों को इन योजनाओं के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। सरकारी तंत्र में कम ही लोग ऐसे हैं जो करुणा के साथ अनाथ बच्चों को अपना मानकर उनकी मदद करते हैं। इसलिए गैर सरकारी संस्थाओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और युवाओं को इसकी जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए। सरकार के साथ-साथ सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं को भी इस काम में लगाना चाहिए।

सवाल :कुछ देशों में बच्चों के लिए टीकाकरण की प्रक्रिया शुरू हुई है। भारत के संदर्भ में आपका क्या सुझाव है?

जवाब : मैं तो पूरी दुनिया के बच्चों के लिए मुफ्त टीकाकरण की मांग कर रहा हूं। विश्व समुदाय और अमीर देशों को प्राथमिकता के आधार पर खासकर गरीब देशों के बच्चों के टीकाकरण की व्यवस्था करनी चाहिए। भारत सरकार को भी जल्द से जल्द परीक्षण पूरा कर बच्चों का टीका तैयार करना चाहिए। आवश्यकता पड़ने पर दूसरे देशों से खरीदकर बच्चों का टीकाकरण किया जाए।

सवाल : मौजूदा समय में बाल मजदूरी, बच्चों के यौन शोषण तथा उनके अधिकारों के हनन की आशंका ज्यादा बढ़ गई है, ऐसे में क्या कदम उठाने की जरूरत है?

जवाब : कोरोना महामारी की वजह से बड़े पैमाने पर आर्थिक संकट पैदा हुआ है। कारखाना मालिक और व्यवसायी अपना घाटा पूरा करने के लिए सस्ते श्रम की तलाश कर रहे हैं। ऐसे में वयस्कों की जगह बच्चों को काम पर रख रहे हैं। बच्चों की तस्करी कर उन्हें महानगरों और शहरों में लाया जा रहा है। हमारे संगठन के साथियों ने ऐसे सैकड़ो बच्चों को मुक्त कराया है। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार सरकारी मशीनरी और एंजेंसियों को अधिक सक्रिय और सजग रहने की जरूरत है।

सवाल : कोरोना महामारी के बाद के हालात में अब सरकारों को बच्चों को केंद्र में रखकर किस तरह की नीतियां बनानी होंगी?

जवाब : कोरोना महामारी के परिणामस्वरूप दुनिया के तकरीबन 14 करोड़ बच्‍चे और उनका परिवार अत्यधिक गरीबी के दलदल में हैं। बड़े पैमाने पर बच्चों के स्कूल छोड़ने तथा बाल मजदूरी, बाल वेश्यावृत्ति और तस्करी के बढ़ने की आशंका है। ऐसे में समय आ गया है कि पूरी एक पीढ़ी को बचाने के लिए राजनीति और विकास के हाशिए पर पड़े बच्चों को केंद्र में लाया जाए। उन्हें नीतियों के केंद्र में लाया जाए। बजट और अंतरराष्ट्रीय विकास के अनुदान के केंद्र में लाया जाए। मैंने सरकार से मांग की है कि स्वास्थ्य को संवैधानिक अधिकार का दर्जा दिया जाए। यह समय की जरूरत है। यदि स्वास्थ्य को हम मौलिक अधिकार बनाते हैं तो इससे पूरे स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत किया जा सकता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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