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ब्लॉग: भारत-श्रीलंका रिश्ते में तमिल फैक्टर महत्वपूर्ण

By शशिधर खान | Published: August 07, 2023 2:43 PM

श्रीलंकाई राष्ट्रपति विक्रमसिंघे 21 जुलाई को 2 दिनों के दौरे पर भारत पहुंचे थे. उसके पहले उन्होंने तमिल नेशनल एलायंस (टीएनए) नेताओं से मुलाकात की.

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श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे भारत से रिश्ते मजबूत करने दिल्ली आए, चले गए. लेकिन भारत श्रीलंका द्विपक्षीय संबंध की नजदीकी में व्यापक तमिल फैक्टर के समाचार श्रीलंका से आ रहे हैं. पड़ोसी श्रीलंका से भारत के रिश्ते का सबसे अहम तमिल मुद्दा है.  

रानिल विक्रमसिंघे श्रीलंकाई तमिलों से मिलते हुए भारत आए और यहां से लौटकर भी तमिल समुदाय के प्रतिनिधियों से मिले. लेकिन श्रीलंका के अल्पसंख्यक तमिलों को प्रांतीय स्वायत्तता देनेवाले 13-A संविधान संशोधन को पूरी तरह लागू करने पर सहमति नहीं बनी. वार्ता के क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसी संविधान संशोधन को लागू करने और तमिलों को उचित राजनीतिक अधिकार देने का मामला उठाया. अन्य मुद्दे नेपथ्य में चले गए.

श्रीलंकाई राष्ट्रपति विक्रमसिंघे 21 जुलाई को 2 दिनों के दौरे पर भारत पहुंचे थे. उसके पहले उन्होंने तमिल नेशनल एलायंस (टीएनए) नेताओं से मुलाकात की. राष्ट्रपति ने तमिल नेताओं को ऐसी प्रांतीय स्वायत्तता देने का प्रस्ताव दिया, जिसमें पुलिस का अधिकार नहीं होगा. श्रीलंका के राष्ट्रपति ने तमिल पार्टियों के संयुक्त मंच टीएनए नेताओं के सामने 13वां संशोधन लागू करने का प्रस्ताव रखा और उसमें यह शर्त लगा दी कि पुलिस को छोड़ अन्य अधिकार मिलेंगे.  

टीएनए नेताओं ने राष्ट्रपति के प्रस्ताव को ‘हवाई वायदा’ कहकर ठुकरा दिया. टीएनए के प्रवक्ता सुमंतिरन ने कहा कि रानिल विक्रमसिंघे ने ही बैठक बुलाई थी, जिसमें उन्होंने पहले वाला छलावा प्रस्ताव दुहराया.

विक्रमसिंघे के बैठक बुलाने से पहले लगभग 20 तमिल संगठनों ने जाफना में जनसभा की. उसमें विभिन्न गुटों में बंटे तमिल समुदायों का विशाल जमावड़ा जुटा, जैसा प्रायः कम देखने को मिलता है. रानिल विक्रमसिंघे के दिल्ली रवाना होने से पहले तमिल संगठनों का पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास पहुंच चुका था. 

पत्र में भारत के प्रधानमंत्री से मांग की गई कि वे श्रीलंका के राष्ट्रपति के साथ वार्ता में तमिलों का यह मामला उठाएं. पत्र में मांग की गई कि 1987 के भारत-श्रीलंका समझौते पर भारत के हस्ताक्षर हैं, इसलिए तमिल आबादी वाले श्रीलंका के उत्तरी प्रांत को प्रांतीय स्वायत्तता देने के गारंटर के रूप में अपना दायित्व भारत पूरा करे. 

टॅग्स :श्रीलंकाRanil Wickremesinghe
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