मुंबई: कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद रील लाइफ हीरो से लोगों के लिए रियल लाइफ हीरो बन गए हैं। लॉकडाउन के दौरान सोनू सूद ने हजारों प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने का काम किया है। सोनू सूद की पूरे देश में तारीफ हो रही है। इसी बीच शिवसेना प्रवक्ता और सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने पार्टी के मुखपत्र सामना में सोनू सूद के मदद कार्य को पर कई सवाल उठाए हैं। संजय राउत ने लिखा है, 'लॉकडाउन के दौरान अचानक सोनू सूद नाम का एक महात्मा मुंबई में तैयार हो गया है।' सोनू सूद को संजय राउत ने बीजेपी का एक प्यादा बताया है।
संजय राऊत ने शिवसेना के मुखपत्र सामना के 'रोखटोक' कॉलम में लिखा है कि लॉकडाउन के दौरान अचानक सोनू सूद नाम का एक महात्मा तैयार हो गया है। इतने झटके और चतुराई के साथ किसी को महात्मा बनाया जा सकता है? राउत ने प्रवासी मजदूरों को बस में भेजने के लिए आए पैसों पर सवाल उठाते हुए सोनू सूद को बीजेपी का मुखौटा बताने की कोशिश की है।
बीजेपी- ने संजय राउत के बयान को बताया दुर्भाग्यपूर्ण
बीजेपी नेता राम कदम ने संजय राउत के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। राम कदम ने ट्वीट में लिखा- "कोरोना के संकट काल में इंसानियत के नाते मजदूरों को सड़क पर उतर के सहायता करने वाले सोनू सूद पर संजय राउत का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। खुद की सरकार कोरोना से निपटने में नाकाम हो गई? यह सच्चाई सोनू सूद पर आरोप लगाकर छिप नहीं सकती। जिस काम की सराहना करने की आवश्यकता है उस पर भी आरोप?"
वहीं दिल्ली बीजेपी नेता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने ट्वीट कर लिखा है, शिवसेना सोनू सूद के काम से जल रही है।
विवादों के बाद संजय राउत ने दी सफाई
बयान पर विवाद होने के बाद संजय राउत ने सफाई देते हुए कहा, ''सोनू सूद पर्दे पर अच्छा रोल निभाते हैं और सड़क पर उतर कर भी उन्होंने अच्छा रोल अदा किया। फिल्मी पर्दे पर एक डायरेक्टर होता है वैसे ही इनके पीछे कोई पॉलिटिकल डायरेक्टर हो सकता है।''
संजय राउत ने कहा, ''काम तो बहुत-सी समाजसेवी संस्था ( NGO) और कोरोना वॉरियर्स ने भी किया पर जिस तरह से फोकस एक आदमी पर डालने की कोशिश की गई है उसका मतलब ये है कि महाराष्ट्र की सरकार कुछ नहीं कर पा रही है और एक आदमी सड़क पर उतर कर सबकुछ काम कर रहा है।''
फिलहाल सोनू सूद ने इस पूरे मामले पर कोई प्रक्रिया नहीं दी है।