कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने शुक्रवार को कहा कि राज्य के अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों के आवासीय स्कूलों के ‘‘गुणवत्तापरक उन्नयन’’ के लिए एक विशेष कार्यक्रम चलाया जाएगा ताकि उन्हें सीबीएसई के मानकों के बराबर लाया जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा,‘‘ हमारी सरकार का मानना है कि आने वाले दिनों में अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक आवासीय स्कूलों के गुणवत्तापरक उन्नयन की आवश्यकता है। हमने इन स्कूलों के ढांचागत सुविधाओं में काफी निवेश किया है।’’ पूर्व मुख्यमंत्री डी. देवराज उर्स की 106वीं जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उन स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों के लिए न केवल उच्च शिक्षा में बल्कि अंतरराष्ट्रीय शिक्षा में अवसर पैदा करने की साथ ही रोजगार के अवसर पैदा करने की भी जरूरत है।उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए हम विशेष कार्यक्रम ला रहे हैं। चाहे राष्ट्रीय प्रवेश पात्रता परीक्षा (नीट) हो अथवा सीईटी, हम उनमें प्रतियोगी परीक्षाएं देने का आत्मविश्वास बढ़ाना चाहते हैं। कर्नाटक ने सीबीएसई के साथ ऑनलाइन आदर्श विद्यालयों की शुरुआत की। हम ऐसा तंत्र बनाना चाहते हैं जिसमें ये आवासीय स्कूल सीबीएसई के मानक के बराबर हो जाएं।’’ राज्य में करीब 800 आवासीय स्कूल हैं जहां विभिन्न सामाजिक वर्ग के छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार इस वर्ष घुमंतु जनजातियों के बच्चों के लिए तीन नए आवासीय स्कूल भी खोलेगी। राज्य में इस तरह के चार स्कूल पहले ही हैं। मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार द्वारा शुरू किए गए डी. देवराज पुस्कार भी दिए। उन्होंने दिवंगत मुख्यमंत्री उर्स के ‘‘क्रांतिकारी’’ भूमि सुधारों को याद करते हुए कहा, ‘‘उन्होंने जमीनें मुक्त कराई और माटी के पुत्रों को भी मुक्त कराया।
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