Calcutta High Court: 2011 से बंगाल में जारी किए गए ओबीसी प्रमाण पत्र रद्द, कोर्ट का फैसला
By धीरज मिश्रा | Published: May 22, 2024 04:29 PM2024-05-22T16:29:24+5:302024-05-22T16:55:38+5:30
OBC Certificate Cancelled In West Bengal: कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। कोर्ट ने साल 2011 में बंगाल में जारी किए ओबीसी प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया है।
Calcutta High Court: कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। इस फैसले से राज्य की ममता सरकार (Mamata Government) को जोरदार झटका लगा है। दरअसल, ममता सरकार ने साल 2011 में जो ओबीसी प्रमाण पत्र (OBC Certificate) जारी किए, उसे कोर्ट ने रद्द कर दिया है। अब इन प्रमाण पत्र का इस्तेमाल रोजगार पाने के लिए नहीं किया जा सकेगा।
The Calcutta High Court has canceled all OBC certificates issued in Bengal since 2011 under the current Trinamool Congress administration pic.twitter.com/36oDWLV4pv
— IANS (@ians_india) May 22, 2024
किन पर कोर्ट के फैसले का असर नहीं होगा
हाईकोर्ट ने 5 लाख ओबीसी प्रमाण पत्र रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि पिछड़े वर्गों की सूची 1993 के नए अधिनियम के अनुसार तैयार की जानी है। सूची पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा तैयार की जाएगी। जो लोग 2010 से पहले ओबीसी सूची में थे वे बने रहेंगे. हालांकि, 2010 के बाद ओबीसी नामांकन रद्द कर दिए गए हैं। 2010 के बाद जिन लोगों के पास ओबीसी कोटे के तहत नौकरियां हैं या मिलने की प्रक्रिया में हैं, उन्हें कोटे से बाहर नहीं किया जा सकता. उनकी नौकरी पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
फैसला सुनाते वक्त कोर्ट ने क्या कहा
न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की खंडपीठ ने एक याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान ओबीसी प्रमाण पत्र को लेकर जो प्रक्रिया अपनाई गई, उस पर सवाल उठाए गए। इस पर खंडपीठ ने फैसला सुनाया।
कोर्ट ने साल 2010 के बाद के सभी ओबीसी प्रमाण पत्र को रद्द करने का फैसला दिया। इस फैसले से उन्हें परेशानी हो सकती है जिनके पास यह अभी ओबीसी प्रमाण पत्र है। क्योंकि, कोर्ट के फैसले के बाद से वह किसी भी नौकरी में अपना प्रमाण पत्र नहीं लगा सकेंगे।
यहां जानकारी के लिए बताते चले कि हाईकोर्ट ने इससे पहले ममता सरकार को शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में झटका दिया था। साल 2016 में जिन लोगों को नौकरियां मिली थी, उनकी नौकरी रद्द करने का फैसला कोर्ट ने दिया। साथ ही उन्हें 4 सप्ताह का समय दिया, जिसमें वह बकाया पैसा जमा कराए।