1996 में समाजवादी पार्टी से पहली बार संसद की दहलीज पर कदम रखने वाले अमर सिंह भारतीय राजनीति में आज भी एक चमकता सितारा हैं। भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की अटकलों से यह उन्होंने साबित कर दिया है। राजनीति के गलियारों से लेकर बॉलीवुड की चकाचौंध तक अमर सिंह का सिक्का बोलता है। हमेशा सुर्खियों में रहने वाले सपा के पू्र्व नेता अमर सिंह इन दिनों एक बार फिर से चर्चा में हैं। दरअसल इन दिनों कहा जा रहा है कि वह जल्द भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अक्सर तारीफ करने वाले अमर अगर ऐसा करते हैं तो ज्यादा ताजुब्ब नहीं होगा। ऐसे में नॉटी टॉक से लेकर कैश फॉर वोट तक के लिए पहचाने जाने वाले नेता को एक बार फिर से जान लीजिए-
सपा से रिश्तों में पड़ी थी दरार
लंबे समय तक सपा से राजनीति में अपना परचम लहराने वाले अमर सिंह का 2009 में पार्टी से विश्वास उठा। कहते हैं साल 2009 में लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी और उनके बीच दूरी पैदा हुई। इस दरार की वजह बनीं अपने जमाने की मशहूर बॉलीवुड अभिनेत्री जयाप्रदा। कहते हैं अमर सिंह जयाप्रदा को रामपुर से टिकट दिलाना चाहते थे लेकिन आजम खान ऐसा नहीं चाहते थे।
जया प्रदा की गिनती अमर सिंह के करीबियों में होती थी। इस वजह से अमर सिंह उन्हें दोबारा रामपुर से टिकट दिलाना चाहते थे, लेकिन आजम खां नहीं चाहते थे कि रामपुर से जयाप्रदा चुनाव लड़े। इस वजह से दोनों नेताओं में आपस में रामपुर सीट को लेकर बयानबाजी शुरू हो गईं थीं। सपा मुखिया मुलायम ने दोनों को संभालने की काफी कोशिश की, लेकिन कामयाब न हो सके। एक दिन अमर सिंह अचानक रामपुर पहुंचे और आजम खां को सार्वजनिक मंच से चुनौती दी। अमर सिंह की वार से आजम खां भी तिलमिला गए। उन्होंने अमर और जयाप्रदा दोनों के खिलाफ जमकर बयानबाजी की। साथ ही जयाप्रदा के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया। इसके बाद एक दिन जनवरी 2010 में अमर सिंह ने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया। उनका ये फैसला हर किसी के लिए हैरान करने वाला था
बनाई खुद की पार्टी
सपा छोड़ने के बाद अमर सिंह ने एक तरह से खुद को राजनीति से दूर कर लिया था। इस दौरान वे गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। हालांकि इस दौरान उन्होंने अपने लिए दूसरे दरवाजे भी देखे। उन्होंने खुद की राजनीतिक पार्टी भी बनाई लेकिन राष्ट्रीय लोक मंच के उम्मीदवारों की 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान जमानत जब्त हो गई। वहीं, 2014 में राष्ट्रीय लोक दल से लोकसभा के चुनाव लड़े, बुरी तरह हारे।
सपा में वापसी
आखिरकार 2016 में उनकी एक बार फिर समाजवादी पार्टी में वापसी हुई। मुलायम सिंह के करीबी अमर की वापसी के साथ इस बार सब कुछ बदल गया था। अमर के सपा में वापस आने के साथ ही समाजवादी परिवार में कलह शुरू हो गई। कहा जाता है कि जब मुलायम सिंह ने अखिलेश को यूपी पार्टी अध्यक्ष पद से हटाया, तो कहा गया कि अमर सिंह के कहने पर ही मुलायम ने यह फैसला लिया है। एक के बाद पार्टी विवादों के बाद भी सपा ने उनको राज्यसभा भेजा। लेकिन अखिलेश का उनके प्रति अलगाव साफ जाहिर हो रहा है।
बॉलीवुड से नाता
अमर सिंह एक ऐसा नेता हैं जो बॉलीवुड में राज करते हैं। कहते हैं जब अमिताभ बच्चन की एबीसीएल कंपनी कर्जे में डूब गई थी और अपने करियर के सबसे मुश्किल दौर से बिग बी गुजर रहे थे और कोई उनकी मदद के लिए तैयार नहीं था, तब ये अमर सिंह ही थे, जो कथित तौर पर दस करोड़ की मदद के साथ अमिताभ के साथ खड़े नज़र आए थे। आज भी अमर सिंह अमिताभ के सबसे करीबी लोगों में से एक हैं। वहीं श्रीदेवी के परिवार के भी वह बेहद करीबी थी। जब अभिनेत्री का निधन हुआ था तो हर किसी ने उनको टूटते देखा था। बॉलीवुड की कई फिल्मों में उन्होंने गेस्ट के रूप में रोल भी निभाए हैं। कहते हैं एक फोन कॉल से बॉलीवुड सितारों की लाइन इनके आगे लग जाती थी
नॉटी टॉक का टेप
साल 2011 में एक टेप सामने आया था जिसने आते ही सुर्खियों को जन्म दे दिया था। बिपाशा बसु व अमर सिंह का 'नॉटी टॉक' टेप सामने आया था। टेप में बिपाशा व अमर सिंह की बातचीत सामने आई थी। इसमें दोनों काफी अंतर्गता के साथ बातचीत करते सुनाई दे रहे थे। हांलाकि ये साफ नहीं हुआ था कि ये सही है या नहीं लेकिन इस टेप ने सुर्खियां खूब बटोरी थीं।
सीडी कांड
साल 2011 में ही एक और सीडी सामने आई जिसके बाद वह फिर से चर्चा में आ गए थे। ऐसी सीडी के सामने से माहौल गर्म हो गया था, जिसमें अमर सिंह की आवाज थी. यह सीडी रिपोर्ट अखबार और मैग्जीन में छपी थी। दरअसल दावा किया गया था कि सीडी में अमर सिंह की आवाज है और वह नेताओं और बिजनेसमैन से किसी अवैध डील के बारे में बात कर रहे है। सीडी के बारे में अमर सिंह ने कहा था कि वह आवाज उनकी नहीं है।
अब उनके बीजेपी में शामिल होने के कयास लगने लगे हैं। ऐसे अगर वह बीजेपी का दमन थामते हैं तो 2019 में इसका सीधी असर पड़ेगा। ये तो वक्त बताएगा अगर अमर सिंह पार्टी का दामन थामते हैं उससे बीजेपी तो लाभ मिलेगा या फिर विवाद।