नई दिल्ली, 23 जुलाई: कवि और गीतकार गोपालदास नीरज ने 19 जुलाई को अपनी मृत्य से महज आठ दिन पहले 11 जुलाई को अलीगढ़ के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की माँग की थी। हालाँकि जिलाधिकारी को यह पत्र नीरज की मृत्यु से तीन दिन पहले 16 जुलाई को मिला था। पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित नीरज ने जिलाधिकारी को लिखे पत्र में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का हवाला दिया था जिसमें शारीरिक अक्षमता के आधार पर इच्छामृत्यु की इजाजत दिये जाने का आदेश दिया गया था। जिलाधिकारी को भेजे पत्र में नीरज ने लिखा था, "कुछ दिनों पूर्व उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि जिन लोगों को शारीरिक पीड़ा के कारण असमर्थता प्राप्त हो जाती है, वे लोग स्वेच्छया मृत्युवरण कर सकते हैं। मेरा स्वास्थ्य एवं शरीर अब इस योग्य नहीं है कि कुछ भी कर सके, इसलिये जो शरीर मेरे लिए अब बड़ा बोझ बन गया है। उससे मैं मुक्त होना चाहता हूँ। अतः आपसे निवेदन कर रहा हूँ कि मुझे स्वेच्छया मृत्युवरण करने के लिए हेलीडेथ इन्जेक्शन को प्राप्त करवाने की कपा करें। धन्यवाद"
अपने इन 7 गीतों की वजह से गोपालदास नीरज हमेशा किए जाएंगे याद
अलीगढ़ के जिलाधिकारी चंद्र भूषण ने हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में नीरज के इच्छामृत्यु के लिखे पत्र मिलने की पुष्टि की। जिलाधिकारी भूषण ने बताया कि नीरज ने 11 जुलाई को यह पत्र पंजीकृत डाक से भेजा था जो जिलाधिकारी को 16 जुलाई को मिला था। जिलाधिकारी ने बताय कि पत्र मिलते ही उन्होंने जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को मामले पर तुरंत कार्रवाई करने की निर्देश दिया था।
अलीगढ़ में रहने वाले नीरज लम्बे समय से बीमार चल रहे थे। 16 जुलाई को उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ जाने के बाद आगरा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी हालत में सुधार न होने के बाद उन्हें दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया। 19 जुलाई को शाम करीब 8 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। नीरज के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समेत कई खासो-आम लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। 21 जुलाई को अलीगढ़ में नीरज का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
हिन्दी साहित्य और सिनेमा को अपने फूलों जैसे सुगन्धित और सुन्दर शब्दों से समृद्ध करने वाले कवि और गीतकार गोपालदास नीरज का जन्म अविभाजित भारत में चार जनवरी 1925 को इटावा में हुआ था। नीरज को कवि सम्मेलनों में मिली लोकप्रियता के बाद फिल्मों में गीत लिखने का मौका मिला। उनकी डेब्यू फिल्म थी नई उमर की नई फसल। इस फिल्म में नीरज की एक कविता "कारवाँ गुजर गया गुब्बार देखते रहे" को शामिल किया गया था। इस गीत ने फिल्म जगत में धूम मचा दी। इसके बाद नीरज ने मेरा नाम जोकर, प्रेम पुजारी, शर्मीली जैसी हिट फिल्मों में गीत लिखे। नीरज को सर्वश्रेष्ठ गीतकार के तौर पर तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार मिला था। आइए हम आपको वो सात गीत सुनाते हैं जिनके माध्यम से कवि नीरज हमेशा हमारे बीच रहेंगे।
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नीचे पढ़ें गोपालदास नीरज द्वारा इच्छामृत्य के लिए जिलाधिकारी को लिखा पत्र-
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