बांग्ला कवि नीरेन्द्रनाथ चक्रवर्ती का निधन, 'नंगा राजा' कविता के लिए मिला था साहित्य अकादमी पुरस्कार

By भाषा | Published: December 25, 2018 06:55 PM2018-12-25T18:55:27+5:302018-12-25T18:55:27+5:30

नीरेन्द्रनाथ चक्रवर्ती का जन्म अविभाजित बंगाल के फरीदपुर में 1924 में हुआ था। नीरेन्द्रनाथ चक्रवर्ती आधुनिक बांग्ला साहित्य के क्षेत्र में एक प्रमुख व्यक्ति थे। कविता की उनकी पहली पुस्तक ‘नील निर्जन’ 1954 में उस समय प्रकाशित हुई थी जब वह 30 साल के थे।

Bengali poet Nirendranath Chakraborty death cm Mamata Banerjee paid condolence | बांग्ला कवि नीरेन्द्रनाथ चक्रवर्ती का निधन, 'नंगा राजा' कविता के लिए मिला था साहित्य अकादमी पुरस्कार

नीरेन्द्रनाथ चक्रवर्ती को उनकी कविता ‘उलंगा राजा’ (नंगा राजा) के लिए 1974 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

कोलकाता, 25 दिसंबर: मशहूर बांग्ला कवि नीरेन्द्रनाथ चक्रवर्ती का दिल का दौरा पड़ने के कारण यहां एक अस्पताल में सोमवार देर रात निधन हो गया। वह 94 साल के थे। परिवार के सदस्यों ने बताया कि सांस लेने में तकलीफ सहित उम्र संबंधी बीमारियों के कारण उन्हें नौ दिसंबर को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 

उन्होंने बताया कि सोमवार मध्यरात्रि में उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उन्होंने रात में करीब 12.25 मिनट पर अंतिम सांस ली। चक्रवर्ती के परिवार में उनकी दो बेटियां हैं। उनके पत्नी का इस साल जनवरी में निधन हो गया था। 

अविभाजित बंगाल के फरीदपुर में 1924 को जन्मे चक्रवर्ती आधुनिक बंगाली साहित्य के क्षेत्र में एक प्रमुख व्यक्ति थे। कविता की उनकी पहली पुस्तक ‘नील निर्जन’ 1954 में उस समय प्रकाशित हुई थी जब वह 30 साल के थे।

सामाजिक ताने-बाने का मखौल बनाने वाली उनकी कविता ‘उलंगा राजा’ (नंगा राजा) के लिए उन्हें 1974 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। चक्रवर्ती ने 47 से अधिक पुस्तक लिखी थी जिसमें से अधिकांश बच्चों की थी। इसके अलावा उन्होंने 12 उपन्यास और विभिन्न मुद्दों पर कई आलेख लिखे थे। 

नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती पर सीएम ममता बनर्जी ने जताया शोक

उनके निधन पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दुख व्यक्त किया है। राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने भी दिग्गज कवि को श्रद्धांजलि दी है। कवि सुबोध सरकार ने चक्रवर्ती के निधन को एक ‘बड़ी व्यक्तिगत क्षति’ करार दिया। 

जाने-माने लेखक शिरशेंदु मुखोपाध्याय ने याद किया है कि कैसे चक्रवर्ती ने बच्चों की एक पत्रिका के संपादक के तौर पर उन्हें गल्प लिखने के लिए प्रेरित किया। मुखोपाध्याय ने उनके निधन से ‘शून्य पैदा’ होने की बात कही है।

लोगों के अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए चक्रवर्ती का पार्थिव शरीर यहां रविन्द्र सदन में शाम तक रखा जाएगा। उनके निधन पर लेखक नवनीता देव सेन और कवि शंखा घोष ने भी शोक व्यक्त किया। 

मंत्री ने कहा कि इसके बाद उनका शव कुछ देर के लिए उनके आवास पर रखा जाएगा और इसके बाद तोप की सलामी के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

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