Gyan Bharatam portal: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दिल्ली के विज्ञान भवन में ज्ञान भारतम पोर्टल का शुभारंभ करेंगे, जिससे पारंपरिक ज्ञान पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भारत की समृद्ध पांडुलिपि विरासत को पुनर्जीवित करने पर चर्चा शुरू होगी। 11 से 13 सितंबर तक चलने वाले इस तीन दिवसीय सम्मेलन का विषय "पांडुलिपि विरासत के माध्यम से भारत की ज्ञान विरासत को पुनः प्राप्त करना" है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी ज्ञान भारतम पोर्टल का शुभारंभ करेंगे, जो पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण, संरक्षण और सार्वजनिक पहुँच में तेजी लाने के लिए एक समर्पित डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है।
ज्ञान भारतम पोर्टल क्या है?
"ज्ञान भारतम" पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण, संरक्षण और सार्वजनिक पहुंच में तेजी लाने के लिए एक समर्पित डिजिटल प्लेटफॉर्म है। इसे संस्कृति मंत्रालय के "ज्ञान भारतम मिशन" के तहत शुरू किया गया है, जिसकी घोषणा 2025-26 के केंद्रीय बजट में की गई थी।
क्या है इस पोर्टल का उद्देश्य
पांडुलिपियों का संरक्षण: इस पोर्टल का मुख्य उद्देश्य भारत के शैक्षणिक संस्थानों, संग्रहालयों, पुस्तकालयों और निजी संग्रहों में मौजूद 1 करोड़ से अधिक पांडुलिपियों का सर्वेक्षण, दस्तावेजीकरण और संरक्षण करना है।
डिजिटल भंडार का निर्माण: यह एक राष्ट्रीय डिजिटल भंडार बनाएगा, जो भारत की ज्ञान प्रणालियों को एक ही मंच पर उपलब्ध कराएगा।
सार्वजनिक पहुँच: यह पोर्टल दुर्लभ और मूल्यवान पांडुलिपियों को शोधकर्ताओं, छात्रों और आम लोगों के लिए सुलभ बनाएगा, जिससे भारत की समृद्ध बौद्धिक परंपराएं दुनिया के सामने आ सकेंगी।
आधुनिक तकनीक का उपयोग: इस मिशन में पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण और संग्रह के लिए अत्याधुनिक डिजिटल उपकरणों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग किया जाएगा।
परंपरा और तकनीक का संगम: यह पहल परंपरा को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़कर हमारी विरासत को भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखेगी।
एक बयान के अनुसार, यह सम्मेलन भारत की अद्वितीय पांडुलिपि विरासत को पुनर्जीवित करने और इसे वैश्विक ज्ञान संवाद में स्थापित करने की रणनीतियों पर विचार-विमर्श हेतु अग्रणी विद्वानों, संरक्षणवादियों, प्रौद्योगिकीविदों और नीति विशेषज्ञों को एक साथ लाता है। इस कार्यक्रम में दुर्लभ पांडुलिपियों की एक प्रदर्शनी और संरक्षण, डिजिटलीकरण तकनीक, मेटाडेटा मानक, कानूनी ढाँचे, सांस्कृतिक कूटनीति और प्राचीन लिपियों के गूढ़ अर्थ जैसे प्रमुख विषयों पर विद्वानों की प्रस्तुतियाँ भी शामिल हैं।