भारतीय जनता पार्टी के नेता और देश के सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने आजकल नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के नाम की सुपारी ले ली है। तीन राज्यों में हार के बाद गडकरी लगातार केंद्रीय नेतृत्व पर हमला कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में कहा था कि राज्यों में हार की जिम्मेवारी केंद्रीय नेतृत्व को लेनी चाहिए। जब इस पर हंगामा मचा तो उन्होंने कहा कि उनके बयान को मीडिया ने तोड़-मरोड़कर पेश किया है। लेकिन इसके कुछ ही दिनों बाद उन्होंने एक बार फिर से बयान दिया कि अगर सांसदों और विधायकों के हार की जिम्मेवारी केंद्रीय नेतृत्व नहीं लेगा तो कौन लेगा?
लेकिन इस बार एक कदम आगे जाते हुए उन्होंने पंडित नेहरु के भाषणों की तारीफ की है। एक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ने कहा ''सिस्टम को सुधारने को दूसरे की तरफ उंगली क्यों करते हो, अपनी तरफ क्यों नहीं करते हो। जवाहर लाल नेहरू कहते थे कि इंडिया इज़ नॉट ए नेशन, इट इज़ ए पॉपुलेशन। इस देश का हर व्यक्ति देश के लिए प्रश्न है, समस्या है। उनके भाषण मुझे बहुत पसंद हैं। तो मैं इतना तो कर सकता हूं कि मैं देश के सामने समस्या नहीं बनूंगा''। नितिन गडकरी इशारों में ही यह बता रहे हैं कि उनके राजनीतिक गुरु पंडित नेहरु ही हैं। ऐसा क्या है जो आजकल नितिन गडकरी ने भाजपा नेतृत्व को निशाने पर लेना शुरू कर दिया है।
हमें इसके लिए उन कयासों का भी संज्ञान लेना होगा जो आये दिन मीडिया में चर्चा का विषय बनते रहते हैं। दरअसल ये बात जंगल में आग की तरह फैल रही है कि अगर 2019 में मोदी सरकार को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है तो नितिन गडकरी एनडीए के प्रधानमंत्री पद का चेहरा बन सकते हैं। लेकिन गडकरी ने शुरुआत से ही ऐसी किसी संभावनाओं से इंकार किया है। लेकिन नेताओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं अक्सर अदृश्य ही रहती हैं।
बीजेपी में शीर्ष के कई नेता इस बात को महसूस कर रहे हैं कि पार्टी आज नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के इर्द-गिर्द ही घूम रही हैं और बाकी नेताओं की पार्टी में चल नहीं रही है। वर्तमान में पार्टी की कार्यप्रणाली से कई सीनियर नेता नाराज बताये जा रहे हैं। जब तक भाजपा जीत रही थी तब तक किसी भी नेता ने उंगली नहीं उठायी लेकिन अब जब पार्टी तीन राज्यों में सत्ता गवां चुकी है, तो ऐसे में शाह विरोधी खेमे को पार्टी में बल मिला है। ऐसा कहा जा रहा है कि नेताओं की नाराजगी नरेन्द्र मोदी से नहीं बल्कि अमित शाह से है।
नितिन गडकरी भाजपा के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं। सरकार में इनकी गिनती सबसे ज्यादा बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले मंत्रियों में होती है। गडकरी ने इसके पहले भी एक बयान दे चुके हैं कि जीत के कई पिता होते हैं, हार हमेशा अनाथ ही होती है। उन्होंने हाल ही में एक ट्वीट कर सफाई भी दी थी कि उनके और भाजपा नेतृत्व के बीच दरार पैदा करने की साजिश की जा रही है। लेकिन इतना तो तय है कि गडकरी के मन में कुछ तो है जिसका प्रदर्शन वो आये दिन अपने भाषणों में कर रहे हैं।