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एल्गार मामले में एनआईए ने इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य पर अमेरिकी फॉरेंसिक कंपनी के दावे को किया अस्वीकार

By भाषा | Updated: June 17, 2021 18:05 IST

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मुंबई, 17 जून राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने बृहस्पतिवार को बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि उसने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य से छेड़छाड़ के अमेरिकी फॉरेंसिक कंपनी के दावों को स्वीकार नहीं किया है।

जांच एजेंसी ने मामले में आरोपी एवं नागपुर विश्वविद्यालय की प्रोफेसर शोमा सेन की याचिका का विरोध करते हुए यह दलील दी। सेन ने अपने खिलाफ लगाये गये आरोपों को रद्द करने का अदालत से अनुरोध किया है।

एनआईए की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल अनिल सिंह ने उच्च न्यायालय से कहा कि जांच एजेंसी सेन द्वारा मांगी गई राहत का विरोध करती है। उन्होंने कहा कि एनआईए ने याचिका का विरोध करते हुए एक हलफनामा भी दाखिल किया है।

बुधवार को दाखिल किये गये हलफनामे में एनआईए ने कहा है कि सेन की याचिका स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है और यह मामले में सुनवाई में देरी का हथकंडा है।

केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि सेन एक अलग रिट याचिका दायर कर आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता के नियमों के अनुरूप मामले से मुक्त किये जाने का अनुरोध कर सकती हैं।

एनआईए ने अमेरिकी फॉरेंसिक कंपनी आर्सेनल कंसल्टिंग की रिपोर्टों पर सेन की निर्भरता का भी विरोध किया है। कंपनी ने इस साल की शुरूआत में कहा था कि एल्गार मामले में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य से छेड़छाड़ की गई थी और साक्ष्य मामले में कई आरेापियों के उपकरणों में गढ़े गये थे।

जांच एजेंसी ने हलफनामे में कहा कि कंपनी का इस मामले में शामिल होने का कोई अधिकार नहीं बनता है। इसने कहा कि एनआईए उक्त रिपोर्ट को अस्वीकार कर चुकी है और इसे साक्ष्य के तौर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता।

हलफनामे में कहा गया है, ‘‘मैं आर्सेनल रिपोर्ट को स्वीकार नहीं करता हूं। रिपोर्ट में दी गई दलील स्वीकार्य (एनआईए द्वारा) नहीं है क्योंकि उनमें तथ्य विवादास्पद हैं और इसलिए इसपर मौजूदा याचिका में विचार नहीं किया जा सकता। ’’ एनआईए ने कहा कि मामले में आरोपपत्र भी दाखिल किया जा चुका है।

जांच एजेंसी ने यह भी कहा कि साक्ष्य से छेड़छाड़ किये जाने के सवाल पर सुनवाई के समय भी विचार किया जा सकता है।

पीठ सेन और सह आरोपी रोना विल्सन की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिन्होंने अंतरिम जमानत के अलावा अपने खिलाफ प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया है।

सुनवाई के दौरान सेन की ओर से पेश हुई वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा, ‘‘यह स्वतंत्रता का मुद्दा है...याचिका तीन महीने से अधिक समय से लंबित है। ’’

जयसिंह ने यह भी कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा तीन छात्र कार्यकर्ताओं को इस हफ्ते की शुरूआत में दी गई जमानत का भी जिक्र करेगी। ये छात्र दिल्ली में हुए सीएए विरोधी प्रदर्शनों में आरोपी हैं।

इस पर, अदालत ने कहा कि वह सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के लिए आखिरी मौका दे रही है।

अदालत ने सभी जवाब नौ जुलाई तक दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई 13 जुलाई के लिए निर्धारित कर दी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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