पटनाः एनडीए की सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) के भीतर जारी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। रालोमो के चार में से तीन विधायक नाराज हैं और खुलकर अपनी नाराजगी भी जाता रहे हैं। विधायक रामेश्वर महतो ने फेसबुक पोस्ट पर कहा कि एनडीए की मजबूती और बिहार के सर्वांगीण विकास के संकल्प के साथ, हम साथ-साथ हैं। जय एनडीए। रामेश्वर महतो के द्वारा सोशल मीडिया पर किए गए एक पोस्ट में माधव आनंद और आलोक सिंह के साथ वह खुद भी बैठे हैं। तीनों रालोमो के विधायक हैं।
विधायक रामेश्वर महतो के पोस्ट में एक बात साफ नजर आ रही है कि यह तीनों विधायक भले ही उपेंद्र कुशवाहा से नाराज हैं, लेकिन एनडीए के साथ मजबूती से खड़े हैं। पोस्ट में जो तस्वीरें शेयर की गई हैं, उसमें रामेश्वर महतो, आलोक सिंह और माधव आनंद एक साथ बैठे नजर आ रहे हैं। तीनों किसी खास मुद्दे पर चर्चा करते दिख रहे हैं।
बता दें कि रामेश्वर महतो ने कहा है कि मेरी नाराजगी है यह और मेरा अधिकार है कि किसी फैसला पर नाराजगी है तो उसे व्यक्त करने का अधिकार है मुझे। वहीं, रालोमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा पर निशाना साधते हुए रामेश्वर महतो ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा का अचानक हृदय परिवर्तन हुआ और उन्होंने जो फैसला लिया वो आत्मघाती है।
उन्होंने कहा कि अगर चारों विधायकों में से किसी एक को मंत्री बनाया जा सकता था और अपने बेटा को इंतजार करा सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। महतो का कहना है कि हमारे नेता को अपनी गलती में सुधार करना चाहिए। यही ख्याल रालोमो विधायक दल के नेता और मधुबनी से विधायक माधव आनंद का है।
माधव आनंद का भी मानना है कि उपेंद्र कुशवाहा अगर भूल सुधार करें तो सब ठीक हो सकता है। वहीं, पोस्ट में जहां रामेश्वर महतो ने माधव आनंद और आलोक सिंह को टैग किया है, वहीं उपेंद्र कुशवाहा या रालोमो को टैग नहीं किया है। ऐसे में तीनों विधायक एकजुट हैं तो किसके साथ यह रालोमो के साथ या फिर एनडीए में कोई अलग गुट बनाकर इसे लेकर भी कुछ स्पष्ट नहीं किया है।
दरअसल, विधानसभा चुनाव के दौरान उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पत्नी स्नेहलता को विधानसभा चुनाव लड़ाया और वह जीती भी। इसके अतिरिक्त उनके दल से तीन अन्य विधायक जीते जिसमें रामेश्वर महतो, माधव आनंद और अलोक सिंह शामिल रहे। वहीं जब नीतीश मंत्रिमंडल में रालोमो से मंत्री बनाने की बारी आई तो कुशवाहा ने अपने बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री बना दिया।
इसके बाद से चर्चा होने लगी कि उपेंद्र कुशवाहा पार्टी में परिवारवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। इसी प्रकरण के बाद उनके विधायकों के दल से नाराज होने की खबर आई। इस बीच पिछले दिनों मीडिया एक वर्ग में यह खबर भी आई कि राज्य नागरिक परिषद में उपेंद्र कुशवाहा अपनी बहू साक्षी मिश्रा को जगह देना चाहते हैं। पहले माधव आनंद उस पद पर थे।
हालांकि मीडिया में यह खबर आने के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने इसका सिरे से खंडन किया। इस बीच सूत्रों के मुताबिक ऐसा बिल्कुल नहीं हो सकता और उपेंद्र कुशवाहा किसी भी कीमत पर इन नाराज विधायकों के दबाव में अपना कदम पीछे नहीं खींच सकते और दीपक प्रकाश को मंत्री पद से इस्तीफा नहीं कराएंगे।
ऐसे में नए साल में भी ये तनातनी जारी रहेगी। हालांकि ये विधायक दूसरे किसी पार्टी में या भाजपा, जदयू में शामिल होने से इनकार कर रहे हैं। लेकिन, इन तीनों की एकजुटता और नाराजगी उपेंद्र कुशवाहा को परेशान कर रही है।