मुंबई: महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में मचे आपसी घमासान के बीच पार्टी प्रमुख शरद पवार के पोते और विधायक रोहित पवार ने बड़ा दावा किया है। बुधवार को मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, "इसी साल दिसंबर में लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव हो सकते हैं।
उनके इस दावे से न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश में राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। एनसीपी विधायक रोहित पवार ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा कि महाराष्ट्र के कुछ अधिकारियों को हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की मरम्मत और निर्माण शुरू करने का निर्देश दिया गया था।
महाराष्ट्र की वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर बोलते हुए रोहित पवार ने साफ कहा कि लोकसभा या राज्य चुनाव से पांच-छह महीने पहले ईवीएम की चेकिंग रिपोर्ट ली जाती है और चार दिन पहले महाराष्ट्र के कुछ अधिकारियों को ईवीएम की मरम्मत और निर्माण शुरू करने का निर्देश दिया गया है।
शरद पवार के पोते ने कहा कि ये साफ तौर पर संकेत है कि लोकसभा चुनाव दिसंबर 2023 में कराए जा सकते हैं। उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि ऐसा कर्नाटक चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की हार के कारण हो रहा है क्योंकि मध्य प्रदेश, हरियाणा और अन्य राज्यों में भी ऐसा ही हो सकता है। एनसीपी विधायक ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी ने एनसीपी तोड़ने की कोशिश की।
एनसीपी में आपसी घमासान का मामला पहुंचा चुनाव आयोग के पास
गौरतलब है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में टूट का मामला अब चुनाव आयोग तक के पास पहुंच गया है। एनसीपी के दोनों गुटों ने चुनाव आयोग से इस मामले में पूरी जानकारी देते हुए खुद को असली पार्टी का हकदार बताते हुए उसे हासिल करने का दावा किया है।
वहीं, आज एनसीपी के शरद पवार और अजित पवार गुटों के विधायकों की बैठक हो रही है। इसमें तय होगा कि कितने विधायक और सांसद किस गुट में शामिल हैं।
शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा के मुख्य सचेतक जितेंद्र अवहाद द्वारा मंगलवार ये जानकारी साझा करते हुए कहा था कि शरद पवार ने 5 जुलाई को दोपहर 1 बजे वाईबी चव्हाण केंद्र में बैठक बुलाई है और सभी विधायकों की उपस्थिति अनिवार्य है।
वहीं, अजित पवार ने भी अलग से अपने खेमे के विधायकों के साथ बैठक का आयोजन किया है। बता दें कि बीते रविवार को शरद पवार के भतीजे और एनसीपी के वरिष्ठ नेता अजित पवार ने आठ विधायकों के साथ मिलकर पार्टी से बगावत कर ली और शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल हो गए।
उन्होंने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री पद पर एक ही दिन में शपथ ग्रहण कर ली। इस राजनीतिक बदलाव को देखकर हर कोई हैरान रह गया। महाराष्ट्र में बदला राजनीतिक समीकरण सभी के लिए चौंकाने वाला साबित हुआ।