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CDS बिपिन रावत का हेलीकॉप्टर कैसे हुआ क्रैश, क्या हुआ था उस दिन, वायुसेना ने राजनाथ सिंह को सौंपी डिटेल रिपोर्ट

By विनीत कुमार | Updated: January 5, 2022 14:45 IST

सीडीएस बिपिन रावत, उनकी पत्नी और 12 अन्य की मौत पिछले महीने Mi-17 हेलीकॉप्टर क्रैश में हो गई थी। इस संबंध में जांच पूरी हो गई है और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के सामने इसे पेश किया गया है।

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ठळक मुद्देभारतीय वायुसेना के Mi-17 हेलीकॉप्टर के क्रैश होने संबंधी घटना की जांच पूरी।विस्तृत रिपोर्ट रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सौंपी गई है, जांच दल की ओ से 45 मिनट का प्रेजेंटेशन दिया गया।जांच दल ने कुछ प्रस्ताव भी दिए हैं ताकि भविष्य में ऐसी हेलीकॉप्टर दुर्घटनाएं नहीं हो।

नई दिल्ली: पिछले महीने की शुरुआत में भारतीय वायुसेना के Mi-17 हेलीकॉप्टर के क्रैश होने संबंधी घटना की जांच के बाद विस्तृत रिपोर्ट रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सौंपी गई है। 8 दिसंबर को चॉपर क्रैश की हुई इस घटना की तीनों सेनाओं द्वारा  जांच की गई थी। 

इस हेलीकॉप्टर हादसे में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और 12 अन्य की मौत हो गई थी। सूत्रों के अनुसार जांचदल ने रक्षामंत्री के सामने करीब 45 मिनट का प्रेजेंटेशन दिया। जांचदल ने घटना के पीछे की वजह का अपनी रिपोर्ट में जिक्र किया है। 

साथ ही कुछ प्रस्ताव भी दिए हैं ताकि भविष्य में हेलीकॉप्टर में वीवीआईपी यात्राओं के दौरान ऐसी घटना नहीं हो। राजनाथ सिंह को रिपोर्ट सौंपने के लिए भारतीय वायुसेना के एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी, रक्षा सचिव अजय कुमार और जांच समिति के प्रमुख एयर मार्शल मनवेंद्र सिंह मौजूद थे।

कैसे क्रैश हुआ Mi-17, क्या है इस रिपोर्ट में

तमिलनाडु में कुन्नूर के पास हुई इस दुर्घटना में जान गंवाने वाले 14 लोगों में जनरल रावत, उनकी पत्नी मधुलिका, उनके रक्षा सलाहकार ब्रिगेडियर एल एस लिद्दर, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के स्टाफ अफसर लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह और ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह शामिल थे। 

सूत्रों के अनुसार जांच रिपोर्ट में इसका जिक्र है कि हेलीकॉप्टर ने पहाड़ी इलाके में घने बादलों में पहुंचने के बाद एक रेलवे लाइन के सहारे आगे बढ़ने का फैसला किया। हेलीकॉप्टर कम ऊंचाई पर उड़ रहा था और चालक दल ने लैंड करने की बजाय बादल से बाहर निकलने का फैसला किया और इस प्रक्रिया में एक चट्टान से टकरा गया। 

सूत्रों के मुताबिक चूंकि पूरा दल 'मास्टर ग्रीन' श्रेणी का था, उन्हें विश्वास था कि वे किसी भी स्थिति से बाहर निकलने में सक्षम होंगे। यही कारण भी रहा कि आपातस्थिति संबंधी कॉल भी ग्राउंड स्टेशनों पर नहीं किया गया था।  सूत्रों के अनुसार सेना के तीन बलों के विमान और हेलीकॉप्टर बेड़े में सर्वश्रेष्ठ पायलटों को 'मास्टर ग्रीन' श्रेणी दी जाती है। इनमें कम दृश्यता में भी उतर सकने या उड़ान भरने की बेहतरीन क्षमता होती है।

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