शिमला: कांग्रेस पार्टी ने हिमाचल प्रदेश में भाजपा के राज और रिवाज बदलने के दावे को धता बताते हुए बहुमत से चुनाव तो जीत लिया है लेकिन हिमाचल कांग्रेस में जीत के बाद जिस तरह की सियासत देखने को मिल रही है, उससे अनुमान लगाया जा सकता है कि यहां की सत्ता कांग्रेस के लिए काटों भरी ताज के समान रहेगी। इसकी बानगी बीते गुरुवार को चुनावी परिणाम और रूझान के सामने आते ही स्पष्ट हो गये थे, जब राज्य कांग्रेस के कई नेताओं ने सीएम पद के लिए दावेदारी ठोंक दी थी।
हिमाचल कांग्रेस में सीएम पद की रेस पर गौर करें तो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुकेश अग्निहोत्री, ठाकुर कौन सिंह और आशा कुमारी के साथ-साथ मौजूदा प्रदेश प्रमुख प्रतिभा सिंह का नाम आगे चल रहा है। वैसे इन सारे नामों में सबसे मजबूत दावेदारी प्रतिभा सिंह की ही मानी जा रही है बावजूद इसके वो बीते गुरुवार से ही अपने नाम को लेकर मीडिया के माध्यम से कांग्रेस शीर्ष नेताओं को परोक्ष संदेश दे रही हैं।
इसी क्रम में प्रतिभा सिंह ने शुक्रवार को भी विधायक दल की बैठक से पहले समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कांग्रेस आलाकमान के लिए कहा, "वे उनके (वीरभद्र सिंह) परिवार की उपेक्षा नहीं कर सकते। हम उनके नाम, चेहरे और काम पर जीते हैं। ऐसा नहीं हो सकता कि आप उनके नाम, चेहरे और परिवार का उपयोग करें और किसी और को श्रेय दें। हाईकमान ऐसा नहीं करेगा।"
मालूम हो कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणाम में कांग्रेस ने सत्ताधारी भाजपा को बाहर का रास्ता दिखाते हुए कुल 68 सीटों में से 40 सीटों पर जीत दर्ज की, वहीं सत्ता गंवाने वाली भाजपा को महज 25 सीटों से संतोष करना पड़ा। इसके साथ ही 3 सीटों पर निर्दलियों ने भी कब्जा जमाया है।
कांग्रेस के नये मुख्यमंत्री के लिए पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक इस समय शिमला में चल रही है। हिमाचल में कांग्रेस के प्रभारी राजीव शुक्ला और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और हरियाणआ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पार्टी विधायकों से सीएम पद की चर्चा कर रहे हैं।