Lok Sabha Elections 2024 : तिब्बती, जापानी, चीनी मूल के लोग भी देते हैं वोट

By विवेक शुक्ला | Published: May 21, 2024 09:56 AM2024-05-21T09:56:50+5:302024-05-21T09:59:33+5:30

1961 में छेदी जगन के कैरीबियाई टापू देश गुयाना के राष्ट्रपति बनने के बाद से कई अन्य ने भी इसी तरह के पदों को सुशोभित किया है, जिनमें शिव सागर रामगुलाम (मॉरीशस), नवीन रामगुलाम (मॉरीशस), महेंद्र चौधरी (फिजी), बासुदेव पांडे (त्रिनिदाद), एस.आर. नाथन (सिंगापुर), ऋषि सुनक (ब्रिटेन), कमला हैरिस (अमेरिका) शामिल हैं.

People of Tibetan, Japanese, Chinese origin also vote | Lok Sabha Elections 2024 : तिब्बती, जापानी, चीनी मूल के लोग भी देते हैं वोट

Lok Sabha Elections 2024 : तिब्बती, जापानी, चीनी मूल के लोग भी देते हैं वोट

Highlightsजॉर्ज च्यू और दोरजी क्रमशः दूसरी पीढ़ी के भारतीय मूल के चीनी और तिब्बती हैं.च्यू और दोरजी इस बात से चिंतित नहीं हैं कि उनके समुदायों की भारत में वोट बैंक की हैसियत नहीं है.भारतवंशी दुनिया भर के दो दर्जन से अधिक देशों में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सांसद बन चुके हैं.

क्या आपको पता है कि वर्तमान लोकसभा चुनाव में भारत में बसे हुए जापानी, चीनी, तिब्बती, ब्रिटिश वगैरह मूल के भारतीय भी अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं? जॉर्ज च्यू आगामी 25 मई को प्रतिष्ठित नई दिल्ली सीट के लिए अपना वोट डालेंगे. और 2 जून को डब्ल्यू दोरजी हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा सीट लोकसभा सीट के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. 

जॉर्ज च्यू और दोरजी क्रमशः दूसरी पीढ़ी के भारतीय मूल के चीनी और तिब्बती हैं. च्यू और दोरजी इस बात से चिंतित नहीं हैं कि उनके समुदायों की भारत में वोट बैंक की हैसियत नहीं है. भारतवंशी दुनिया भर के दो दर्जन से अधिक देशों में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सांसद बन चुके हैं. एक अनुमान के अनुसार, देश में च्यू और दोरजी जैसे लगभग 200000 भारतीय हैं. उनमें से एक महत्वपूर्ण संख्या चीनी और तिब्बती मूल के लोगों की है. 

1961 में छेदी जगन के कैरीबियाई टापू देश गुयाना के राष्ट्रपति बनने के बाद से कई अन्य ने भी इसी तरह के पदों को सुशोभित किया है, जिनमें शिव सागर रामगुलाम (मॉरीशस), नवीन रामगुलाम (मॉरीशस), महेंद्र चौधरी (फिजी), बासुदेव पांडे (त्रिनिदाद), एस.आर. नाथन (सिंगापुर), ऋषि सुनक (ब्रिटेन), कमला हैरिस (अमेरिका) शामिल हैं. वैश्वीकरण के वर्तमान युग में, विभिन्न देशों के नागरिक एक-दूसरे के देशों में जाकर बसते रहते हैं. 

अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, मलेशिया, ब्रिटेन और अन्य देशों में लाखों भारतीय हैं. उन्होंने अपने दत्तक देशों में राजनीति की दुनिया में लंबी छलांग लगाई है. ऐसे उदाहरण केवल भारतीयों तक ही सीमित नहीं हैं. जापानी माता-पिता के पुत्र अल्बर्टो फुजीमोरी कुछ समय पहले पेरू के राष्ट्रपति बने थे. केन्या के एक छोटे से गांव का एक अश्वेत व्यक्ति अमेरिका का राष्ट्रपति बना. बेशक, हम बात कर रहे हैं बराक ओबामा की.

बहरहाल, दोरजी को उम्मीद है कि 4 जून के बाद देश में जो भी सरकार बनेगी, वह तिब्बतियों के पक्ष में होगी. उनका कहना है कि भारत में जन्मे तिब्बतियों को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने का अधिकार है. वे विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव तक वोट दे सकते हैं. 7 मई 2014 को इतिहास रचा गया था, जब कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) में 217 तिब्बती युवाओं ने पहली बार लोकसभा चुनाव में अपना मतदान किया. 

भारत सरकार ने भारत में जन्मे तिब्बतियों को भारत की नागरिकता दे दी थी. हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में करीब 50 हजार तिब्बती रहते हैं. हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा, मंडी, कुल्लू, शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों में तिब्बतियों की सबसे बड़ी संख्या है. कांगड़ा जिले में सबसे अधिक तिब्बती हैं क्योंकि तिब्बत की निर्वासित सरकार का मुख्यालय धर्मशाला के पास मैक्लोडगंज में स्थित है. वहां ही तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा का घर है.

Web Title: People of Tibetan, Japanese, Chinese origin also vote

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