ब्लॉग: शहादत ने किया था आतंकवाद के प्रति जागरूक

By रमेश ठाकुर | Published: May 21, 2024 10:43 AM2024-05-21T10:43:26+5:302024-05-21T11:04:55+5:30

21 मई 1991 को श्रीपेरंबुदूर में ‘लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम’ की महिला सदस्य ने मानव बम बनकर राजीव गांधी की हत्या कर दी थी। उसके बाद से हर साल 21 मई को ‘राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी दिवस’ के रूप में मनाए जाने की घोषणा हुई।

Blog: Martyrdom made people aware about terrorism | ब्लॉग: शहादत ने किया था आतंकवाद के प्रति जागरूक

फाइल फोटो

Highlightsभारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई 1991 की श्रीपेरंबदुर में हत्या कर दी गई थी21 मई को हर साल ‘राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी दिवस’ के रूप में मनाया जाता हैहाल के दिनों में सुधरते हालात की सुखद तस्वीर दिखाई दी, जब लाल चौक पर तिरंगा लहरा रहा था

21 मई की तारीख आतंकवाद को खत्म करने और शांति-सद्भाव को बढ़ावा देने के महत्व पर प्रकाश डालती है। आज ही के दिन भारत के 6वें प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई 1991 को मद्रास के पास एक गांव श्रीपेरंबुदूर में ‘लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम’ की महिला सदस्य ने मानव बम बनकर हत्या कर दी थी, उनकी हत्या के बाद ही हर साल 21 मई को ‘राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी दिवस’ के रूप में मनाए जाने की घोषणा हुई।

आज का दिन जनमानस को आतंकवाद जैसे असामाजिक कृत्य के प्रति न सिर्फ जागरूक करता है, बल्कि राष्ट्रीय सद्भाव को बढ़ावा देने और सभी जातियों, पंथों के लोगों को एकजुट करने का संबल भी प्रदान करता है। 80-90 के दशक में देश के कई हिस्से आतंकवाद से प्रभावित थे लेकिन जैसे-जैसे समय आगे बढ़ा, हालात तेजी से सुधरे। पहले के मुकाबले जम्मू-कश्मीर के हालात भी अब ठीक हैं।

सुधरते हालात की ही सुखद तस्वीर है कि लाल चौक पर तिरंगा लहरा रहा है। वैश्विक स्तर पर देखें तो, 2022 से आतंकवाद से होने वाली मौतों में 79 फीसदी की गिरावट आई है। घाटी में लगातार होते हमलों में भी 90 फीसदी की कमी है। आतंकवाद को पोषित करने वाला देश पाकिस्तान अगर अपनी हरकतों से तौबा कर ले तो ये आंकड़ा सौ फीसदी हो जाएगा, लेकिन पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है।

इस दिवस को मनाए जाने के मकसद की जहां तक बात है तो आतंकवाद और हिंसा के खतरों पर स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में बहस या चर्चा आयोजित करके युवाओं में जागरूकता पैदा की जाती है। आतंकवाद के दुष्प्रभावों और उसके परिणामों को उजागर करने के लिए जन शिक्षा कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। आतंकवादी अपने संगठनों में युवाओं को बहला फुसलाकर शामिल करते हैं।

युवा उनके चंगुल में न फंसे, इसको लेकर भी सरकारें विभिन्न तरह से जागरूक करती हैं। युवा आतंकियों के बहकावे में न आएं, ये चुनौती हुकूमतों के समक्ष हमेशा से रही है। जम्मू में एक वक्त आतंकी संगठनों द्वारा लालच देकर युवाओं को सेना के जवानों पर पत्थर फेंकने के लिए उकसाया जाता था पर अब वहां के युवा आतंकियों का खेल समझ चुके हैं। पत्थरबाजी की घटनाओं पर अब अंकुश लग चुका है।

Web Title: Blog: Martyrdom made people aware about terrorism

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