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अयोध्या मामले पर फैसले के बाद बेंच को होटल ताज में डिनर और वाइन के लिए ले गया था: पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई

By विनीत कुमार | Published: December 09, 2021 8:13 AM

राज्य सभा सांसद बन चुके रंजन गोगोई ने ऑटोबायोग्राफी- 'जस्टिस फॉर द जज: एक ऑटोबायोग्राफी' में अपने करियर से जुड़ी कई अहम बातों का जिक्र किया है। किताब बुधवार को लॉन्च हुई।

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ठळक मुद्देरंजन गोगोई की ऑटोबायोग्राफी- 'जस्टिस फॉर द जज: एक ऑटोबायोग्राफी' में किया जिक्र।2018 में चार जजों के प्रेस कॉन्फ्रेंस सहित उनके कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के लिए फैसलों का भी जिक्र है किताब में।किताब बुधवार को लॉन्च हुई, रंजन गोगोई ने लिखा है- राष्ट्रपति ने राज्य सभा के लिए नामांकित किया था, इसलिए इसे स्वीकार किया

नई दिल्ली: राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद पर 9 नवंबर, 2019 को सर्वसम्मति से ऐतिहासिक फैसला सुनाने के बाद तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई उस बेंच के अन्य जजों को डिनर के लिए होटल ताज मानसिंह लेकर गए थे और पसंदीदा वाइन ऑर्डर की। 

अब राज्य सभा सांसद बन चुके गोगोई ने अपनी ऑटोबायोग्राफी- 'जस्टिस फॉर द जज' में अपने करियर से जुड़ी कई अहम बातों के साथ इस बात का भी जिक्र किया है। उनकी इस आत्मकथा में 2018 में चार वरिष्ठ जजों द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस, उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप सहित सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा उनके कार्यकाल में लिए गए फैसलों का जिक्र है।

अयोध्या मामले पर फैसले के बाद होटल ताज में डिनर

अयोध्या मामले पर फैसला सुनाने के बाद उस शाम का जिक्र करते हुए गोगोई अपनी किताब में लिखते हैं, 'फैसले के बाद सेक्रेटरी जनरल ने अशोक चक्र के नीचे कोर्ट नंबर 1 के बाहर जजों की गैलरी में एक फोटो सेशन का आयोजन किया। शाम को मैं जजों को डिनर पर ताज मानसिंह होटल ले गया। हमने चाइनीज खाना खाया और वहां मौजूद सबसे अच्छी वाइन की बोतल साझा की।'

बता दें कि तत्कालीन सीजेआई गोगोई सहित अयोध्या मामले पर फैसला सुनाने वाली पांच जजों की संविधान पीठ में तत्कालीन सीजेआई-नामित एस ए बोबडे, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजार भी शामिल थे।

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस अकील कुरैशी को नियुक्त करने संबंधी सिफारिश कॉलेजियम द्वारा वापस लेने और उन्हें त्रिपुरा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की बात गोगोई लिखते हैं कि ऐसा 'संवैधानिक निकायों के बीच टकराव से बचने के लिए था।'

'2018 की प्रेस कॉन्फ्रेंस जरूरी थी'

जस्टिस गोगोई, जस्टिस चेलमेश्वर, मदन लोकुर और कुरियन जोसेफ की ओर से 2018 में की गई चर्चित प्रेस कॉन्फ्रेंस पर गोगोई ने किताब में लिखा कि हालांकि उनका मानना ​​​​था कि यह सही कदम था पर उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की 'उम्मीद' नहीं की थी बल्कि केवल कुछ पत्रकारों से मिलने की बात थी।

गोगोई ने लिखा, '12 जनवरी 2018 शुक्रवार, एक अलग दिन था। दोपहर 12 बजे के करीब कई तरह के काम के बाद मैं जस्टिस चेलमेश्वर के आवास पर गया। मैंने वहां जो देखा उसने मुझे हैरान कर दिया। बड़ी संख्या में प्रेस मौजूद था। उनके आवास के पिछले लॉन पर कई कैमरे लगाए गए थे, जो कि उस बैठक का स्थान था। बाहर कई ओबी वैन खड़े थे।'

वहीं, राज्यसभा सदस्यता स्वीकार करने पर गोगोई लिखते हैं कि उन्होंने इसे 'स्वीकार करने से पहले दोबारा नहीं सोचा क्योंकि इसे भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया गया था।'

टॅग्स :अयोध्या फ़ैसलाजस्टिस रंजन गोगोईसुप्रीम कोर्टराज्य सभा
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