नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली नगर निगम चुनाव के मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव को लेकर बड़ा निर्देश दिया है। आम आदमी पार्टी की याचिका पर उन्हें बड़ी राहत देते हुए अदालत ने एल्डरमैन मनोनीत सदस्यों के मतदान देने पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही जल्द से जल्द चुनाव कराने पर सुप्रीम कोर्ट ने जोर देते हुए निर्देश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश ने कहा कि मेयर चुनाव के लिए पहली बैठक में ही चुनाव हो और इस संबंध में 24 घंटों के भीतर नोटिस जारी किया जाना चाहिए। ये नोटिस उस तारीख को तय करेगा जिस दिन मेयर, डिप्टी मेयर और अन्य सदस्यों का चुनाव होगा।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद आम आदमी पार्टी को बड़ी राहत मिली है। आप पार्टी की ओर से नेता शैली ओबेरॉय ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका में आग्रह किया गया था कि बुजुर्ग मनोनीत सदस्यों को मेयर चुनाव में वोट न देने दिया जाए साथ ही चुनाव जल्द से जल्द कराए जाए। कोर्ट ने इस मांग को मानते हुए 'आप' के हक में फैसला दिया है।
कोर्ट ने कहा कि इस चुनाव में मनोनीत सदस्य मतदान न करें। वहीं, मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव जल्द से जल्द हो और 24 घंटे के भीतर पहली बैठक के लिए नोटिस जारी किया जाए। सीजेआई ने कोर्ट में कहा कि मनोनती सदस्य किसी भी बैठक में वोट नहीं दे सकते और इसमें पहली बैठक भी शामिल है। वहीं, पहली बैठक में मेयर का चुनाव होने के बाद उसकी अध्यक्षता में डिप्टी मेयर और अन्य सदस्यों के लिए चुनाव होना चाहिए।
तीन बार बैठक के बाद भी नहीं हो सका था चुनाव
बता दें कि दिल्ली के लिए नए मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव के लिए तीन बार बैठक बुलाई जा चुकी है लेकिन बीजेपी और आप पार्षदों के बीच हंगामे के कारण ये संभव नहीं हो सका। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के उपराज्यपाल और बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह ये चुनाव नहीं होने देना चाहती है।
इस बार आम आदमी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी को पीछे छोड़ते हुए दिल्ली एमसीडी चुनाव में जीत दर्ज की थी। पिछले साल ही चुनाव के नतीजे आ गए थे। तब से ही सदन में मेयर चुनाव को लेकर तीन बार बैठक का आयोजन किया गया लेकिन भारी हंगामे के बीच ऐसा नहीं हो सका।
मालूम हो कि 15 सालों से एमसीडी में अपना वर्चस्व कायम किए हुए बीजेपी को इस बार आम आदमी पार्टी ने कड़ी टक्कर देते हुए हरा दिया। दिल्ली में करीब 250 वार्डों में से 134 पर आम आदमी पार्टी ने जीत हासिल की थी। वहीं, भाजपा ने 104 वार्डों पर जीत हासिल की थी और कांग्रेस को केवल नौ सीटें ही मिली थी।