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CP Radhakrishnan: आखिर पीएम मोदी और भाजपा ने राधाकृष्णन को क्यों चुना?, इन प्वाइंट से समझिए गणित, बिहार चुनाव से पहले OBC दांव!

By सतीश कुमार सिंह | Updated: August 18, 2025 11:30 IST

CP Radhakrishnan: केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने महाराष्ट्र के राज्यपाल चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया, जो तमिलनाडु की एक प्रमुख ओबीसी जाति से आते हैं और आरएसएस की पृष्ठभूमि से हैं।

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ठळक मुद्देसोशल इंजीनियरिंग पर निरंतर निर्भरता और दक्षिण में भाजपा की विस्तार योजनाओं का संकेत देता है।राधाकृष्णन का 17 साल की उम्र से ही आरएसएस और जनसंघ से जुड़ाव रहा है।कोयंबटूर से दो बार लोकसभा चुनाव जीते और उनके समर्थक उन्हें ‘तमिलनाडु का मोदी’ कहते हैं।

CP Radhakrishnan: जगदीप धनखड़ की विदाई और सीपी राधाकृष्णन की इंट्री। जाट-प्रधान धनखड़ की जगह राधाकृष्णन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्यों चुना।दो साल से कुछ ज़्यादा समय में भाजपा को एक ऐसा उत्तराधिकारी मिल गया है, जो बिल्कुल अलग है। बाहरी पहचान के बजाय एक रणनीतिक और अखिल दक्षिण भारतीय एक पूरी तरह से जनसंघ से उपजा हुआ व्यक्ति माना जाता है। इस नेता को स्वयं एक सौम्य और समावेशी नेता के रूप में देखा जाता है। राधाकृष्णन का चयन ओबीसी सोशल इंजीनियरिंग पर निरंतर निर्भरता और दक्षिण में भाजपा की विस्तार योजनाओं का संकेत देता है।

एक ऐसा क्षेत्र जहाँ कर्नाटक को छोड़कर, पार्टी पैर जमाने में असमर्थ रही है। राधाकृष्णन ने महाराष्ट्र में सक्रिय भूमिका निभाई है। धनखड़ विवादों में घिरे रहते थे। धनखड़ एक आक्रामक वकील और मुखर राजनेता जो अपनी तीखी और टकराव भरी शैली के लिए जाने जाते रहे। राधाकृष्णन का स्वभाव संवैधानिक भूमिका के लिए बेहतर अनुकूल था।

CP Radhakrishnan: राधाकृष्णन का 17 साल की उम्र से ही आरएसएस और जनसंघ से जुड़ाव रहा

राज्यसभा को आक्रामकता की नहीं, बल्कि संतुलन की आवश्यकता है। राधाकृष्णन, धनखड़ की तुलना में भाजपा के वैचारिक मार्गदर्शक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या आरएसएस के साथ अधिक मज़बूत वैचारिक जुड़ाव रखते हैं। धनखड़ कानूनी और राजनीतिक पृष्ठभूमि से आए थे और उनका आरएसएस से कोई लंबा जुड़ाव नहीं था। राधाकृष्णन का 17 साल की उम्र से ही आरएसएस और जनसंघ से जुड़ाव रहा है।

उपराष्ट्रपति पद के लिए भाजपा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की पहली पसंद बने महाराष्ट्र के राज्यपाल चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन (67) किशोरावस्था में ही आरएसएस और जनसंघ से जुड़ गए थे। वह 1990 के दशक के अंत में कोयंबटूर से दो बार लोकसभा चुनाव जीते और उनके समर्थक उन्हें ‘तमिलनाडु का मोदी’ कहते हैं।

CP Radhakrishnan: राधाकृष्णन 1998 और 1999 में दो बार जीत के बाद तमिलनाडु के कोयंबटूर से लगातार तीन लोकसभा चुनाव हारे

राधाकृष्णन 1998 और 1999 में दो बार जीत के बाद तमिलनाडु के कोयंबटूर से लगातार तीन लोकसभा चुनाव हार गए। हालांकि, कहा जाता है कि तमिलनाडु में सभी दलों में उनका बहुत सम्मान है, जिसके परिणामस्वरूप भाजपा ने उन्हें कई राज्यों का राज्यपाल बनाया। एक ओबीसी नेता होने के नाते, उनकी उम्मीदवारी विपक्ष के एक प्रमुख राजनीतिक विमर्श को ‘‘निष्क्रिय’’ करने का भी प्रयास करती है।

उन्होंने 31 जुलाई, 2024 को महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में शपथ ली। इससे पहले, उन्होंने लगभग डेढ़ साल तक झारखंड के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। झारखंड के राज्यपाल के रूप में, उन्हें तेलंगाना के राज्यपाल और पुडुचेरी के उपराज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया था। विभिन्न राज्यों में राज्यपाल पद संभालने के बाद भी, वह अक्सर तमिलनाडु का दौरा करते रहे हैं।

CP Radhakrishnan: 20 अक्टूबर, 1957 को जन्मे राधाकृष्णन के पास व्यवसाय प्रबंधन में स्नातक की डिग्री

अपने हालिया तमिलनाडु दौरे के दौरान उन्होंने कई कार्यक्रमों में भाग लिया और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से भी मुलाकात की थी। तमिलनाडु में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। तमिलनाडु के तिरुपुर में 20 अक्टूबर, 1957 को जन्मे राधाकृष्णन के पास व्यवसाय प्रबंधन में स्नातक की डिग्री है।

16 साल की उम्र में आरएसएस के स्वयंसेवक के रूप में शुरुआत करने वाले राधाकृष्णन 1974 में भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य बने। वर्ष 1996 में, राधाकृष्णन को भाजपा की तमिलनाडु इकाई का सचिव नियुक्त किया गया। वह 1998 में कोयंबटूर से पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए और 1999 में वह फिर से इस सीट से लोकसभा के लिए चुने गए।

CP Radhakrishnan: राधाकृष्णन टेबल टेनिस में कॉलेज चैंपियन और लंबी दूरी के धावक रहे

सांसद के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने विभिन्न संसदीय समितियों के अध्यक्ष और सदस्य के रूप में कार्य किया। वर्ष 2004 से 2007 के बीच, राधाकृष्णन तमिलनाडु भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रहे। इस पद पर रहते हुए, उन्होंने 19,000 किलोमीटर की ‘रथ यात्रा’ की, जो 93 दिनों तक चली। एक उत्साही खिलाड़ी राधाकृष्णन टेबल टेनिस में कॉलेज चैंपियन और लंबी दूरी के धावक रहे हैं।

ऐसा कहा जाता है कि 2004 में द्रमुक द्वारा राजग से संबंध समाप्त करने के बाद तमिलनाडु में भाजपा के लिए नया गठबंधन बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन की उम्मीदवारी का स्वागत किया।

CP Radhakrishnan: राजग के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में राधाकृष्णन को नामित किए जाने पर बधाई

नायडू ने कहा कि राधाकृष्णन एक वरिष्ठ नेता हैं जिन्होंने ईमानदारी और जनसेवा के मूल्यों को निरंतर कायम रखा है। नायडू ने कहा कि उनका लंबा राजनीतिक जीवन राष्ट्र के लिए प्रेरणा स्रोत है। नायडू ने रविवार रात ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘राजग के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में राधाकृष्णन को नामित किए जाने पर बधाई।

एक वरिष्ठ राजनेता और सम्मानित नेता के रूप में, उन्होंने लंबे समय तक देश की विशिष्ट सेवा की है।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) उनके नामांकन का स्वागत करती है और अपना पूरा समर्थन देती है। उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने राजग के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में राधाकृष्णन की उम्मीदवारी पर बधाई दी।

CP Radhakrishnan: महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में राधाकृष्णन की राजनीतिक यात्रा के बारे में बताया

कल्याण ने कोयंबटूर से दो बार सांसद, झारखंड के राज्यपाल और वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में राधाकृष्णन की राजनीतिक यात्रा के बारे में बताया और कहा कि यह लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करने के प्रति समर्पण, नेतृत्व और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

कल्याण ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए राजग के उम्मीदवार के रूप में राधाकृष्णन के प्रतिष्ठित नामांकन पर उन्हें हार्दिक बधाई।’’ जनसेना के संस्थापक ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को ऐसे नेता को चुनने के लिए आभार व्यक्त किया और इसे भारत की लोकतांत्रिक नींव को मजबूत करने वाला कदम बताया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की पृष्ठभूमि वाले राधाकृष्णन तमिलनाडु के एक वरिष्ठ भाजपा नेता हैं। नड्डा ने ओबीसी नेता और दो बार लोकसभा सदस्य रह चुके राधाकृष्णन (67) को इस संवैधानिक पद पर सर्वसम्मति से चुने जाने की अपील करते हुए कहा कि भाजपा नेताओं ने पिछले सप्ताह विपक्षी दलों से बात की थी और आगे भी करते रहेंगे।

CP Radhakrishnan: नड्डा ने राधाकृष्णन को ‘राजनेता’ बताया

नड्डा ने कहा कि विपक्षी नेताओं ने भाजपा वार्ताकारों से कहा है कि वे सत्तारूढ़ गठबंधन के उम्मीदवार के बारे में बताए जाने के बाद ही अपना रुख स्पष्ट कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी राधाकृष्णन को लेकर आम सहमति बनाने के लिए उनसे फिर संपर्क करेगी। नड्डा ने राधाकृष्णन को ‘राजनेता’ बताया।

राधाकृष्णन के रूप में भाजपा ने एक ऐसे नेता पर भरोसा किया है, जिसकी संगठनात्मक और वैचारिक प्रतिबद्धता सिद्ध है। वह अपने पूर्ववर्ती जगदीप धनखड़ से कई मायनों में बहुत अलग हैं। प्रधानमंत्री ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “सीपी राधाकृष्णन ने अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में समर्पण, विनम्रता और बुद्धिमत्ता के बलबूते खुद की अलग पहचान बनाई।”

CP Radhakrishnan: संसद में सरकार के एजेंडे को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे

उन्होंने लिखा, “‘विभिन्न पदों पर रहते हुए उन्होंने हमेशा सामुदायिक सेवा और हाशिये पर पड़े लोगों को सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने तमिलनाडु में जमीनी स्तर पर काफी काम किया है।” प्रधानमंत्री ने भरोसा जताया कि राधाकृष्णन एक प्रेरक उपराष्ट्रपति होंगे और संसद में सरकार के एजेंडे को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

राजग के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में अपने नाम की घोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, राधाकृष्णन ने मोदी समेत भाजपा और उसके सहयोगी दलों के नेताओं को धन्यवाद दिया। उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘मुझ पर उन्हें जो विश्वास है और उन्होंने मुझे राष्ट्र की सेवा करने का जो अवसर दिया है, उससे मैं अभिभूत हूं। मैं अपनी अंतिम सांस तक राष्ट्र के लिए कड़ी मेहनत करने का आश्वासन देता हूं।’

CP Radhakrishnan: राधाकृष्णन गौंडर जाति से ताल्लुक रखते हैं

लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों वाले निर्वाचक मंडल में भाजपा और उसके सहयोगी दलों के पास पर्याप्त बहुमत होने के कारण, राधाकृष्णन का निर्वाचन लगभग तय है। पार्टी को उम्मीद है कि उनकी पदोन्नति से उसे तमिलनाडु में पैठ बनाने में मदद मिलेगी, जहां अगले साल चुनाव होने हैं। राधाकृष्णन गौंडर जाति से ताल्लुक रखते हैं, जो तमिलनाडु में प्रभावशाली ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) समुदाय है।

नड्डा ने राधाकृष्णन के लगभग 40 वर्षों के सार्वजनिक जीवन पर जोर देते हुए कहा कि विभिन्न दलों और समाज के विभिन्न वर्गों में उनका सम्मान है। राधाकृष्णन की पदोन्नति से भाजपा को कांग्रेस और उसके सहयोगियों द्वारा जाति जनगणना और इस वर्ष के अंत में होने वाले बिहार चुनावों से पहले ओबीसी को राजनीतिक प्रतिनिधित्व जैसे मुद्दों पर लुभाने के प्रयासों के खिलाफ जवाबी हमले में भी मदद मिलेगी।

CP Radhakrishnan: द्रविड़ क्षेत्रीय दलों सत्तारूढ़ द्रमुक और अन्नाद्रमुक के बाद आता

नड्डा ने राधाकृष्णन के लगभग 40 वर्षों के सार्वजनिक जीवन पर प्रकाश डाला और कहा कि विभिन्न दलों में उनका अच्छा सम्मान है और अपने गृह राज्य में समाज के विभिन्न वर्गों में उनका सम्मान है, जहां भाजपा का स्थान दो प्रमुख द्रविड़ क्षेत्रीय दलों सत्तारूढ़ द्रमुक और अन्नाद्रमुक के बाद आता है।

नड्डा ने कोयंबटूर के पूर्व सांसद के बारे में कहा, ‘‘उन्हें एक सम्मानित नेता माना जाता है।’’ उन्होंने कहा कि राधाकृष्णन को 2023 में झारखंड का राज्यपाल बनाया गया था और फिर जुलाई 2024 में महाराष्ट्र स्थानांतरित कर दिया गया था। अपने पूर्ववर्ती धनखड़ के विपरीत, राधाकृष्णन ने राज्यपाल के रूप में विवादास्पद राजनीतिक मुद्दों पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करने से काफी हद तक परहेज किया है।

धनखड़ भी 2022 में राजग के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में नामित होने से पहले उनके जैसे ही राज्यपाल थे। हालांकि, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिछले साल आरोप लगाया था कि केंद्र की ‘साजिश’ के तहत प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उनकी गिरफ्तारी में राजभवन की भूमिका थी।

CP Radhakrishnan: संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू मतदान एजेंट होंगे

इसके बाद राधाकृष्णन ने आठ फरवरी 2024 को प्रेस वार्ता कर आरोपों का खंडन किया और इस बात पर जोर दिया कि राजभवन ने सभी लोकतांत्रिक मानदंडों का पालन किया है। सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उपराष्ट्रपति चुनाव की निगरानी करेंगे, जबकि संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू मतदान एजेंट होंगे। उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त है।

प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों के अलावा भाजपा नीत गठबंधन के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री भी राधाकृष्णन के नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया का हिस्सा होंगे। अगर विपक्ष भी अपना उम्मीदवार घोषित कर देता है तो चुनाव नौ सितंबर को होगा। मानसून सत्र के पहले दिन 21 जुलाई को धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अचानक इस्तीफा देने के बाद उपराष्ट्रपति पद का चुनाव जरूरी हो गया है।

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