लाइव न्यूज़ :

दुखद: कोरोना संक्रमित शव घर में ही दफनाया, बहन ने दी मुखाग्नि, किसी ने नहीं की मदद

By एस पी सिन्हा | Updated: May 18, 2021 18:57 IST

बिहार के सहरसा जिले में दिल दहलादेने वाली घटना सामने आई है। कोरोना से हुई मौत के बाद बाद दफनाने की भी नही मिली जगह तो शव को घर के आंगन में दफनाया गया।

Open in App
ठळक मुद्देकोराना संक्रमित की मौत पर पड़ोसी तो दूर रिश्तेदार भी परिवार का साथ नहीं दे रहे।ऐसी ही एक घटना बिहार के सहरसा जिले में देखने को मिली है। मामला बसनही थाना क्षेत्र अंतर्गत रघुनाथपुर पंचायत के वार्ड संख्या-04 का है।

बिहार के सहरसा के बसनही थाना क्षेत्र अंतर्गत रघुनाथपुर पंचायत से इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है, जहां कोरोना ने रिश्ते को भी बदल दिया। जहां स्थानीय नीवासी कैलाश कामत का 25 वर्षीय पुत्र अमरीश कामत की मौत कोरोना की चपेट में आने से मौत हो गई। मौत के बाद रविवार की सुबह स्थानीय प्रशाशन को इसकी जानकरी दी गई, लेकिन घंटों इंतजार के बावजूद कोई नहीं पहुंचा। 

स्थानीय लोग भी मदद को आगे नहीं आये। शव घर में पड़ा हुआ था, कोई उठाने वाला भी नहीं था। मौत की सूचना पर सगे-संबंधी भी नही पहुंचे। हाल यह हुआ कि अंतिम संस्कार करने के लिए उसे दो गज जमीन तक नहीं मिल सकी। बताया जाता है कि कैलाश कामत जिस जगह पर शुरू से अपने दादा, परदादा सबका अंतिम संस्कार करते आए थे, वहां लोगों ने अंतिम संस्कार कराने से मना कर दिया। 

इसकी सूचना प्रशासन को दी गई। लेकिन कोई नहीं आया। आखिरकार परिजनों ने शव को अपने ही आंगन में गड्ढा खोद कर दफना दिया। मृतक तीन भाई और तीन बहन थे, वह सबसे बड़ा था। इस घटना के समय उसके दोनों छोटे भाई घर से बाहर थे। तीन बहन में दो की शादी हो गई है और छोटी बहन 7 वर्षीय राधा कुमारी ने अपने भाई को मुखाग्नि देकर घर के आंगन में ही उसे दफना दिया। 

लेकिन इस संकट में समाज के किसी भी लोगों ने कोई सहयोग नहीं किया। वर्तमान मुखिया पति सियाचारन मंडल को भी उसने बार-बार फोन किया, लेकिन वह भी नहीं आये। प्राप्त जानकारी के अनुसार मृतक अमरीश कामत पहले से ही टीबी का मरीज था, जिसका इलाज भी चल रहा था। अचानक बीते गुरुवार को तबीयत खराब होने पर सोनवर्षा निजी क्लिनिक ले जाया गया, जहां उन्हें बेहतर इलाज के लिए सोनवर्षा पीएचसी ले जाने के सलाह दी। 

जहां जांच के बाद कोरोना उसे कोरोना से संक्रमित बताया गया। वहां से चिकित्‍सकों ने सहरसा सादर अस्पताल ले जाने को कहा। लेकिन उसे न तो कोई सरकारी एंबुलेंस मिला और न ही कोई प्राइवेट वाहन ले जाने के तैयार हुआ। कैलाश कामत ने बताया कि पीएचसी प्रबंधन के बार-बार आग्रह करने के बावजूद उन्‍हें एंबुलेंस नहीं मिली। वे अपने बीमार पुत्र को घर वापस लौट गया। 

शुक्रवार को इलाज नहीं करा पाने के कारण वह घर लौट गया और शनिवार को उसकी मौत हो गई। उन्‍होंने कहा कि अगर समय रहते मेरे बीमार पुत्र को बेहतर इलाज के लिए सोनवर्षा राज पीएचसी द्वारा सहरसा ले जाने के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था दी जाती तो बेटे की जान बच सकती थी।

टॅग्स :कोरोना वायरसकोरोना वायरस इंडियाबिहार में कोरोना
Open in App

संबंधित खबरें

स्वास्थ्यCOVID-19 infection: रक्त वाहिकाओं 5 साल तक बूढ़ी हो सकती हैं?, रिसर्च में खुलासा, 16 देशों के 2400 लोगों पर अध्ययन

भारत'बादल बम' के बाद अब 'वाटर बम': लेह में बादल फटने से लेकर कोविड वायरस तक चीन पर शंका, अब ब्रह्मपुत्र पर बांध क्या नया हथियार?

स्वास्थ्यसीएम सिद्धरमैया बोले-हृदयाघात से मौतें कोविड टीकाकरण, कर्नाटक विशेषज्ञ पैनल ने कहा-कोई संबंध नहीं, बकवास बात

स्वास्थ्यमहाराष्ट्र में कोरोना वायरस के 12 मामले, 24 घंटों में वायरस से संक्रमित 1 व्यक्ति की मौत

स्वास्थ्यअफवाह मत फैलाओ, हार्ट अटैक और कोविड टीके में कोई संबंध नहीं?, एम्स-दिल्ली अध्ययन में दावा, जानें डॉक्टरों की राय

भारत अधिक खबरें

भारतछत्तीसगढ़ ट्रेन दुर्घटना जांच: परीक्षा में फेल और ट्रेन चलाते समय फोन पर लेता था जानकारी?, रेलवे ने अयोग्य लोको पायलट को किया नियुक्ति, 12 की मौत और 19 यात्री घायल

भारतनगर निगम चुनाव से पहले अमित शाह से मिले महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष रविंद्र चव्हाण, सीएम देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच चर्चा की जानकारी

भारतबिहार चुनाव में हार के बाद राजद में भगदड़, पूर्व सांसद और विजय कृष्ण ने दिया इस्तीफा, लालू प्रसाद यादव को लिखा भावुक पत्र

भारतएमपी के एक खेल महोत्सव में देरी से पहुँचने पर भाजपा सांसद वीडी शर्मा को एक महिला खिलाड़ी ने झाड़ा, कहा- ...हमारे पास फालतू टाइम है क्या? वीडियो वायरल | WATCH

भारतपूरे देश ने देखा अमित शाह मानसिक रूप से बहुत दबाव में हैं, राहुल गांधी ने कहा- संसद में बहुत ‘नर्वस’ नजर आए और बहस की चुनौती पर कोई जवाब नहीं दिया