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Bihar Elections 2025: लालू यादव ने नहीं दिया असदुद्दीन ओवैसी को भाव?, महागठबंधन में एआईएमआईएम नहीं, अख्तरुल ईमान बोले- ‘थर्ड फ्रंट ज़िंदाबाद’

By एस पी सिन्हा | Updated: July 5, 2025 16:37 IST

Bihar Elections 2025: राजद सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा ने प्रस्ताव को यह कहकर खारिज कर दिया कि ओवैसी साहब का जनाधार हैदराबाद में है।

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ठळक मुद्देसेक्युलर वोटों की एकता की दुहाई देते हुए एकजुट होकर चुनाव लड़ने की अपील की थी।अगर वाकई भाजपा को हराना है तो बिहार की सियासत में दखल न दें। चुप्पी साधते हुए कहा कि जिसने प्रस्ताव भेजा और जिसे भेजा, वही जवाब दें।

Bihar Elections 2025: असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम की तरफ से महागठबंधन में शामिल होने के प्रस्ताव को राजद के द्वारा ठुकरा दिए जाने पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने भी पलटवार में तीखी प्रतिक्रिया व्यकत की है। उन्होंने कहा कि हमारी सियासी उदारता को हमारी कमजोरी मत समझिए। अगर हमारा प्रस्ताव खारिज किया गया है तो ‘थर्ड फ्रंट ज़िंदाबाद’। हम अन्य दलों से बातचीत कर रहे हैं, और विकल्प खुले हैं।” बता दें कि ओवैसी की पार्टी ने लालू प्रसाद यादव को एक राजनीतिक चिट्ठी लिखकर सेक्युलर वोटों की एकता की दुहाई देते हुए एकजुट होकर चुनाव लड़ने की अपील की थी। लेकिन शुक्रवार को राजद सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा ने प्रस्ताव को यह कहकर खारिज कर दिया कि ओवैसी साहब का जनाधार हैदराबाद में है।

कभी-कभी चुनाव न लड़ना भी सबसे बड़ी मदद होती है। अगर वाकई भाजपा को हराना है तो बिहार की सियासत में दखल न दें। मनोज झा ने यह भी कहा कि अगर सच में नफरत और अधिनायकवाद से लड़ना है तो जरूरी नहीं कि हर मैदान में उतरना ही एकमात्र रास्ता हो। इस बीच कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावारू ने इस मुद्दे पर चुप्पी साधते हुए कहा कि जिसने प्रस्ताव भेजा और जिसे भेजा, वही जवाब दें।

वहीं जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने भी इस पर तंज कसते हुए कहा कि क्या ओवैसी अपने पुराने बयानों पर टिकेंगे? याद दिला दूं कि राजद ने एआईएमआईएम के चार विधायक तोड़ लिए थे। राजद बिना दान-जकात के कोई सियासी सौदा नहीं करता। लालू गेट बिना चढ़ावे के नहीं खुलता।

ऐसे में जानकारों का कहना है कि अब साफ है कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में मुकाबला त्रिकोणीय नहीं, चतुष्कोणीय होता नजर आ रहा है। महागठबंधन,एनडीए, एआईएमआईएम का संभावित थर्ड फ्रंट और जन सुराज की राजनीतिक सियासत की बिसात बिछ चुकी है, अब चालें शतरंज की नहीं, ज़ुबानों की तलवार से खेली जाएंगी।

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