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नासिक से पैदल चलकर मुंबई पहुंचे 30 हजार किसान, अपनी मांगों को लेकर कल करेंगे विधानसभा का घेराव

By भारती द्विवेदी | Updated: March 11, 2018 18:21 IST

किसानों के इस आंदोलन को आमलोग से लेकर हर पार्टी अपना समर्थन दे रहे हैं। इस रैली में महिलाओं की भागीदारी भी देखने को मिल रही है।

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ठळक मुद्देकिसान सोमवार को महाराष्ट्र विधानसभा का करेंगे घेरावकांग्रेस, शिव सेना ने दिया किसानों को समर्थन, जबकि वाम दल किसानों के आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं

मुंबई, 11 मार्च: कर्ज माफी को लेकर 30 हजार किसान नासिक से पैदल चलकर मुंबई पहुंच चुके हैं। ये सारे किसान ऑल इंडिया किसान सभा के बैनर तले इस आंदोलन के लिए निकले हैं। कर्ज माफी के अलावा इनकी और भी मांगे हैं, जिसके लिए उन्होंने आंदोलन करने का फैसला किया है। अपनी मांग को लेकर सोमवार को ये सारे किसान विधानसभा का घेराव करने वाले हैं। मुंबई पहुंचे 30 हजार किसानों से शिव सेना नेता आदित्य ठाकरे ने मिलकर बात की है। शिवसेना ने आंदोलन कर रहे किसानों को अपना समर्थन दे रखा है। कांग्रेस पार्टी की तरफ से भी किसानों को समर्थन मिल रहा है।

ऑल इंडिया किसान सभा और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की अगुवाई में किसानों ने ये रैली 27 फरवरी को शुरू की थी। जब ये काफिला निकला था तब इसमें 12 हजार किसान शमिल थे लेकिन जैसे-जैसे इनके कदम मुंबई की तरफ बढ़ने लगे और भी किसान जुड़ने लगे। अब जब ये मुंबई पहुंच चुके हैं तो लगभग इनकी संख्या 30 हजार के पार पहुंच चुकी है।

आंदोलन कर रहे किसानों की मांग क्या है?

- किसानों की पहली मांग बैंकों से लिया कर्ज है, जिसपर वो पूरे तरीके से कर्जमाफी चाहते हैं। मौसम के बदलने से हर साल उनकी फसलें तबाह हो रही हैं। ऐसे में किसान चाहते हैं कि उन्हें कर्ज से मुक्ति मिले।

- किसान संगठनों की दूसरी मांग बिजली बिल को लेकर है। उनका कहना है कि महाराष्ट्र के ज्यादातर किसान फसल बर्बाद होने के चलते बिजली बिल नहीं चुका पाते हैं। इसलिए उन्हें बिजली बिल में छूट दी जाए।

- किसानों की नारजगी फसलों के सही दाम न मिलने को लेकर भी है। सरकार ने हाल के बजट में भी किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का तोहफा दिया था, लेकिन कुछ संगठनों का मानना था कि केंद्र सरकार की एमएसपी की योजना महज दिखावा है।

- किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें भी लागू करने की मांग कर रहे हैं।

स्वामीनाथन आयोग सिफारिश जानिए

साल 2004 में केंद्र सरकार ने किसानों की आर्थिक हालत और अन्न की आपूर्ति को लेकर एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में नेशनल कमीशन ऑन फॉर्मर्स का गठन किया। इस आयोग ने अपनी 5 रिपोर्ट सौंपी। अंतिम व पांचवीं रिपोर्ट 4 अक्तूबर, 2006 में सौंपी गयी। लेकिन इस रिपोर्ट में जो सिफारिशें हैं उन्हें अभी तक लागू नहीं किया जा सका है। इन रिपोर्ट में भूमि सुधार, किसानों की आत्महत्या रोकने, सिंचाई, फसल बीमा और उत्पादकता बढ़ाने साथ ही खाद्य सुरक्षा से संबंधित नियम बनाए गए थे।

कौन हैं एमएस स्वामीनाथन?

तमिलनाडु के कुभ्भकोणम में 7 अगस्त 1925 को एमएस स्वामीनाथन को जन्म हुआ था। वो पौधों के जेनेटिक वैज्ञानिक हैं। साथ ही इन्हें भारत में हरित क्रांति में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। साल 1966 में इन्होंने मैक्सिको के बीजों को पंजाब की घेरलू बीजों के साथ मिलाकर हाई प्रोडक्टिविटी वाले गेहूं और चावल के संकर बीज विकसित किए। फिर इन बीजों को हरित क्रांति कार्यक्रम के तहत गरीब किसानों के खेतों में लगाए गए। उनके इस सफल प्रयोग से देश को काफी फायदा हुआ। एमएस स्वामीनाथन को उनके कामों के लिए 'विज्ञान एवं अभियांत्रिकी' के क्षेत्र में 'भारत सरकार' द्वारा सन 1967 में 'पद्म श्री', 1972 में 'पद्म भूषण' और 1989 में 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया गया था।

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