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किसानों के आंदोलन के 100 दिन, KMP एक्सप्रेसवे पर किया गया चक्का जाम

By अनुराग आनंद | Updated: March 6, 2021 15:28 IST

हरियाणा के सोनीपत जिले के किसानों ने अपने ट्रैक्टरों को केएमपी एक्सप्रेस-वे के बीचों-बीच खड़ा कर जाम लगा दिया।

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ठळक मुद्देकुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेस-वे 136 किलोमीटर लंबा है। सोनीपत में एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों के वापस होने तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा।

चंडीगढ़: केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने दिल्ली की सीमा पर अपने आंदोलन के 100 दिन पूरे होने पर शनिवार को हरियाणा में छह लेन वाले कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस-वे को कुछ स्थानों पर बाधित किया है।

यह प्रदर्शन सुबह 11बजे शुरू हुआ जो अपराह्न चार बजे तक चलेगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने एक्सप्रेस-वे बाधित करने का आह्वान किया था। कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेस-वे 136 किलोमीटर लंबा है। भारतीय किसान यूनियन (दाकुंडा) के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा था कि हम केएमपी को बाधित करेंगे लेकिन आपात सेवा में लगे वाहनों को जाने दिया जाएगा।

हरियाणा के सोनीपत जिले के किसानों ने अपने ट्रैक्टरों को केएमपी एक्सप्रेस-वे के बीचों-बीच खड़ा कर जाम लगा दिया। सोनीपत में एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘‘ तीनों कृषि कानूनों के वापस होने तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा। हम पीछे नहीं हटेंगे।’’ किसानों ने पलवल जिले में भी प्रदर्शन किया।

पंजाब, हरियाणा एवं पश्चिम उत्तर प्रदेश व राजस्थान के हजारों किसान अन्य राज्यों के लोगों के साथ आंदोलन कर रहे हैं-

विशेष तौर पर पंजाब, हरियाणा एवं पश्चिम उत्तर प्रदेश व राजस्थान के हजारों किसान तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए दिल्ली की सीमाओं-- सिंघू, टिकरी और गाजीपुर पर डेरा डाले हुए हैं। राजेवाल ने पहले ही कहा था कि वर्तमान प्रदर्शन को तेज करने के तहत हम छह मार्च को केएमपी जाम कर देंगे। एसकेएम ने यह भी कहा है कि किसान आंदोलन में समर्थन दे चुके विभिन्न केंद्रीय श्रमिक संगठनों के साथ मिलकर संयुक्त कार्यक्रम तैयार कर रहा है।

किसान आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए अब किसान गर्मियों की तैयारियों में जुटे हैं-

बता दें कि दिल्ली की सीमाओं पर पांच जगह चल रहे किसान आंदोलन के छह मार्च को 100 दिन पूरे हो गए हैं। आंदोलन ठंड के मौसम में शुरू हुआ था और अब किसान गर्मियों की तैयारियों में जुटे हैं। आंदोलन स्थल के हालात देखकर लग रहा है कि अगर सरकार के साथ कोई समझौता नहीं हुआ, तो ये आंदोलन और लंबा खिंच सकता है। दिल्ली और हरियाणा के बीच सिंघु बॉर्डर पर अब बांस-बल्लियों के तंबुओं की जगह, स्टील के ढांचे और इनपर तंबू बांधे जाने की कवायद शुरू हो चुकी है। कई टेंटों में एसी और कूलर लगाने का काम भी जोरों से चल रहा है।

(एजेंसी इनपुट)

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