सर्दियों का मौसम जारी है और इन दिनों इम्युनिटी सिस्टम कमजोर होने से सर्दी जुकाम और बुखार सहित कई अन्य बीमारियों का खतरा होता है। ठंड के मौसम में तापमान में गिरावट और प्रदूषण बढ़ने से साधारण बुखार, डेंगू बुखार, मलेरिया बुखार, वायरल बुखार और टाइफाइड बुखार जैसे गंभीर रोगों से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। दिल्ली के मशहूर जरनल फिजिशियन डॉक्टर अजय लेखी आपको इन दिनों होने वाले विभिन्न तरह के बुखार और उनसे निपटने के घरेलू उपायों की जानकारी दे रहे हैं।
1) डेंगू बुखारसर्दियों के मौसम में डेंगू बुखार अपने पांव तेजी से पसार लेता है। शुरुआत में सामान्य-सा लगनेवाला यह बुखार देरी या गलत इलाज से जानलेवा साबित हो सकता है। इसे 'हड्डीतोड़ बुखार' के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इससे पीड़ित लोगों को इतना अधिक दर्द हो सकता है कि जैसे उनकी हड्डियां टूट गई हों। इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, त्वचा पर लाल दाने होना शामिल हैं। यह बुखार मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है।
डेंगू बुखार के लिए मेथी और पीपते के पत्तेयह पत्तियां बुखार कम करने के लिए सहायक हैं। इन पत्तियों को पानी में भिगोकर उसके पानी को पीया जा सकता है। इसके अलावा, मेथी पाउडर को भी पानी में मिलाकर पी सकते हैं। इनसे प्लेटलेट्स की गिनती बढ़ती है। साथ ही, बॉडी में दर्द, कमजोरी महसूस होना, उबकाई आना, थकान महसूस होना आदि जैसे बुखार के लक्षण को कम करने में सहायक है।
2) वायरल बुखारतापमान सर्द होने की वजह से लोगों को इन दिनों सर्दी जुकाम और वायरल बुखार जैसी मौसमी बीमारियां अपनी चपेट में ले रही है। मौसम में आए बदलाव का इम्यून सिस्टम पर भी पड़ता है। वायरल इन्फेक्शन की एक बड़ी श्रेणी को वायरल फीवर का नाम दिया गया है। शरीर का तापमान बढ़ना वायरल फीवर की मुख्य विशेषता होती है। इसके लक्षणों में थकान, मांसपेशियों में दर्द, तेज बुखार, खांसी, जोड़ों में दर्द आदि शामिल हैं।
वायरल बुखार के लिए धनिया चाय और तुलसी के पत्ते का काढ़ा धनिया के बीज में फाइटोन्यूट्रीशन होते हैं जो कि शरीर को विटामिन देते हैं और अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को भी बढ़ाते हैं। धनिया में मौजूद एंटीबायोटिक यौगिक वायरल संक्रमण से लड़ने की शक्ति देते हैं। तुलसी के पत्तों में एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल, एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो वायरल बुखार को जड़ से खत्म करने की क्षमता रखते हैं। रोजाना इनके इस्तेमाल से आपको आराम महसूस होगा।
3) मलेरिया बुखार मलेरिया बुखार, कंपकपी के साथ होता है और इसका कारण है मलेरिया परजीवी, जो मरीज़ के रक्त में पाया जाता है। मलेरिया के संक्रमण का सबसे प्रमुख लक्षण है कि अचानक तेज कंपकंपी के साथ ठंड ठंड लगती है और इसके कुछ ही देर बाद बुखार आ जाता है। इससे आपको सर्दी और सिरदर्द के साथ बार-बार बुखार आता है। गंभीर मामलों में रोगी कोमा में चला जाता है या उसकी मृत्यु तक हो जाती है।
मलेरिया बुखार के लिए तुलसी और अदरककई बीमारियों के इलाज में तुलसी का उपयोग किया जाता है। मलेरिया के उपचार के लिए 10 ग्राम तुलसी के पत्ते और 7-8 मिर्च को पानी में पीसकर सुबह और शाम लेने से बुखार ठीक हो जाता है। इसमें आप शहद भी मिला सकते हैं। अनेक गुणों के साथ ही तुलसी मच्छरों को भगाने में भी मददगार साबित होती है। इसके अलावा थोड़ी सी अदरक लेकर उसमें 2-3 चम्मच किशमिश डालकर पानी के साथ उबालें। जब तक पानी आधा नहीं रह जाता इसे उबालते रहें। थोड़ा ठंडा होने पर इसे दिन में दो बार लें। इससे मलेरिया का बुखार कम करने में बहुत मदद मिलती है।
4) टाइफाइड बुखार साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया के कारण होता है। यह जीवाणु संक्रमण हाई फीवर और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं का कारण बनता है। आमतौर पर दूषित पानी या भोजन खाने से टाइफाइड होता है। इससे पीड़ित व्यक्ति को 102 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बुखार रहता है। कमजोर शक्ति, सिरदर्द व बदन दर्द, भूख में कमी, सुस्ती, कमजोरी इसके आम लक्षण हैं।
टाइफाइड बुखार के लिए लहसुन लहसुन को विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य लाभ के लिए जाना जाता है। टाइफाइड बुखार को कंट्रोल करने में भी यह बेहद सहायक हो सकता है। लहसुन में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं और यह रक्त को प्यूरीफाई करने का काम करता है। इसके अलावा लहसुन किडनी से अवांछित पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। हालांकि, इसका अधिक लाभ लेने के लिए इसे कच्चा या अधपका खाना चाहिए। यह टाइफाइड बुखार से पीड़ित व्यक्ति की प्रतिरक्षा को बढ़ावा देता है।