सलमान खान बॉलीवुड के एक ऐसे अभिनेता हैं जिनका नाम लंबे समय तक विवादों से जुड़ा रहा। लेकिन उन्होंने कभी अपने काम की रफ्तार कम नहीं होने दी। यही वजह है कि आज वो इंडस्ट्री के सबसे टॉप अभिनेता हैं। सलमान के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए जिनसे आप आप अच्छी तरह वाकिफ होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि बॉलीवुड का यह दबंग एक्टर एक लंबे अरसे तक गंभीर बीमारी से पीड़ित रहा। हैरानी की बात यह है कि उन्होंने कभी इस बीमारी को अपने काम पर हावी नहीं होने दिया और एक के बाद एक सुपरहिट फिल्म देते रहे। चलिए जानते हैं सलमान किस बीमारी से पीड़ित थे।
हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2017 में फिल्म 'ट्यूबलाइट' के गाने की लांचिंग के दौरान सलमान ने दुबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि वो ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया (Trigeminal neuralgia) नामक बीमारी से पीड़ित थे। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें पीड़ित को चेहरे की नसों में दर्द होता है।
सलमान ने बताया था कि इस बीमारी के दौरान उन्हें बात करने में परेशानी होती थी। दर्द की वजह से उन्हें थोड़ा मुंह बंद करके आराम से बोलना पड़ता था। उन्होंने बताया कि यह इतनी दर्दनाक बीमारी है जो आत्महत्या का बड़ा कारण बनती है। इसमें बहुत जायदा दर्द होता है।
इस बीमारी से लड़ने के अपने दिनों को याद करते हुए सलमान ने कहा कि एक समय मुझे यह एहसास हो गया कि चाहे जितना दर्द हो, मुझे अपना काम जारी रखना चाहिए। दर्शकों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आपका लिगामेंट फट गया है, आपको फ्लू है या आपके घुटने में दर्द हो रहा है। आपको बस अपना सर्वश्रेष्ठ देने की आवश्यकता है।
पहली बार 2001 में किया खुलासारिपोर्ट के अनुसार, सलमान ने अपनी इस बीमारी को लेकर पहली बार साल 2001 में बोला था। उस दौरान उन्होंने कहा था कि "मेरी आवाज में एक लचीलापन और कर्कशता है, यह इसलिए नहीं है क्योंकि मैं नशे में हूं, मैं रमजान के दौरान शराब नहीं पीता, यह इस बीमारी के कारण है। मैं इसका इलाज करा रहा हूँ। अभी मेरे पास अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया क्या है
ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया एक न्यूरोपैथिक (नर्वस सिस्टम या तंत्रिका तंत्र से संबंधित) विकार है, जिसमें मरीज के चेहरे पर बहुत पीड़ा होती है। यह दर्द ट्राइजेमिनल नामक तंत्रिका(नर्व) से पैदा होता है। यह तंत्रिका चेहरे पर संवेदना और जबड़ों की गतिविधि जैसे काटना और चबाना आदि के लिए उत्तरदायी होती है। इसका कोई इलाज नहीं है लेकिन कुछ उपायों से लक्षणों को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।
ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया के लक्षण
इस विकार के लक्षणों में मरीज को चेहरे, कानों, आंखों, होंठों, नाक, सिर, माथा, गालों, दांतों या जबड़ों में दर्द होना शामिल हैं। अक्सर लोग बहुत लंबे समय तक परेशानी झेलने को मजबूर होते हैं, क्योंकि इस रोग की सही पहचान नहीं हो पाती। अक्सर इसे माइग्रेन या दांतों की परेशानी समझ लिया जाता है। इसलिए रोग की सही जांच जरूरी है। इससे व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है, जिसके परिणामस्वरूप अलगाव, वजन कम होना और अवसाद जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया का इलाज
यह विकार आसानी से काबू में नहीं आता, किंतु इलाज के कुछ विकल्पों के द्वारा इसे मैनेज किया जा सकता है। ग्लाइसेरॉल इंजेक्शन, रेडियो फ्रीक्वेंसी आदि से इसका इलाज किया जा सकता है, परंतु इससे तंत्रिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। इसका सही इलाज सर्जरी है सर्जरी है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह तंत्रिकाओं की संरचना को सुरक्षित व संरक्षित रखती है। पीडि़त व्यक्ति की सर्जरी कर दी जाए, तो सफलता की दर 90 प्रतिशत है।