Monsoon Health Tips: मानसून की शुरुआत के साथ ही चारों तरफ सुहाना मौसम हो जाता है और भीषण गर्मी से हमें राहत मिल जाती है।
बारिश का मौसम हर किसी का पसंदीदा मौसम होता है और बारिश में भीगना और घूमना सभी को पसंद है लेकिन मानसून अपने साथ कई बीमारियों की सौगात भी लाता है जो हमारे लिए परेशानी खड़ी कर देती है।
मानसून में त्वचा और आंखों के संक्रमण के अलावा, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं और जोड़ों का दर्द, खांसी, सर्दी, बुखार या हेपेटाइटिस ई जैसी गंभीर संक्रमण की स्थिति किसी को भी अस्पताल के चक्कर कटवा सकती है।
हेपेटाइटिस ई को एक वायरल संक्रमण के रूप में वर्णित किया जा सकता है जो लीवर की क्षति और सूजन का कारण बनता है।
कैसे फैलती है ये बीमारी?
हेपेटाइटिस ई वायरस मल-दूषित पानी या भोजन के सेवन से फैलता है। मानसून जल प्रदूषण का कारण बन सकता है विशेष रूप से आपूर्ति लाइनों और भंडारण टैंकों में पानी जैसी जगहों पर जिससे हेपेटाइटिस ई के मामलों में वृद्धि हो सकती है।
हालांकि, किसी को घबराना नहीं चाहिए क्योंकि इस संक्रमण को उचित चिकित्सा की मदद से प्रबंधित किया जा सकता है। हेपेटाइटिस ई को एक साइलेंट किलर के रूप में जाना जाता है और इसमें समय पर हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।
हेपेटाइटिस ई के लक्षण
- भूख कम लगना- त्वचा और आंखों का पीला पड़ना- बुखार- जोड़ों में दर्द - पेट दर्द- उल्टी, मतली और थकान
कैसे करें इससे बचाव?
- हेपेटाइटिस एक भोजन और पानी से होने वाली बीमारी है और मल-मौखिक मार्ग संचरण का प्राथमिक मार्ग है, इसलिए व्यक्ति को उचित स्वच्छता का पालन करने की आवश्यकता होगी।
- व्यक्तिगत स्वच्छता रखें और साफ पानी पियें।
- कच्चा खाना और सब्जियां जैसे सलाद और जूस न खाएं।
- खुले में रखे, सड़क विक्रेताओं से खाना खरीदकर न खाएं।
- इसके अलावा, पहले से कटे फल न खाएं क्योंकि इससे फिर से संक्रमण होने की संभावना हो सकती है।
- शौचालय जाने के बाद, खाना पकाने या खाने से पहले, या किसी भी सतह को छूने के बाद हाथ ठीक से धोना चाहिए।
- खुले में शौच को भी रोकना होगा ताकि जलस्रोतों पर असर न पड़े।
- कोशिश करें की पानी को उबाल कर पीएं।
बता दें कि हेपेटाइटिस ई गर्भवती महिलाओं या बच्चों, बुजुर्गों या बीमार लोगों सहित कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के लिए हानिकारक है।
(डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई सभी जानकारी सामान्य ज्ञान पर आधारित है कृपया किसी भी सलाह को मानने से पहले डॉक्टर की सलाह लें। लोकमत हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है।)