अगर पुलिस रिकॉर्ड की बात करें तो देश में पहला एनकाउंटर करने का श्रेय मुंबई पुलिस को जाता है। आंकड़े बताते हैं कि मुंबई में बढ़ते गैंगवार और अंडरवर्ल्ड के अपराधों को देखते हुए 1980 के दशक में मुंबई पुलिस डिटेक्शन यूनिट बनाई गई। इसे प्रचलित शब्दों में एनकाउंटर स्कवैड कहा जाता था। ये यूनिट डी कंपनी, अरुण गवली और अमर नाइक गैंग पर शिकंजा कसने के लिए बनाई गई थी।
मुंबई पुलिस की इसी यूनिट की टीम ने 11 जनवरी, 1982 को मुंबई के वडाला कॉलेज परिसर में एनकाउंटर किया। इसे ही देश का पहला एनकाउंटर भी कहा जाता है। स्पेशल टीम ने जब गैंगस्टर मान्या सुर्वे को 6 गोलियां मारी थीं, फिर पुलिस एनकाउंटर शब्द का इस्तेमाल 1984 और 1995 के बीच पंजाब विद्रोह के दौरान किया गया। इस दौरान पंजाब पुलिस के अधिकारियों ने स्थानीय समाचार पत्रों और मारे गए लोगों के परिवार के सदस्यों को मुठभेड़ों की सूचना दी।
गुजरात और यूपी में एनकाउंटर पर उठते रहे हैं सवाल
इसी तरह फिर विभिन्न राज्यों से एनकाउंटर की खबरें आम प्रचलन में आने लगी। साल 2002 से 2006 के बीच गुजरात में भी कई एनकाउंटर चर्चा में रहे। इसमें कई पुलिस एनकाउंटर काफी विवादित रहे। इसमें तुलसीराम प्रजापति, इशरत जहां जैसे केस भी सामने आए।
अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां कई सामाजिक संगठन बीते सालों में फर्जी एनकाउंटर्स पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाल चुके हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 2 जुलाई 2018 को राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था। याचिका में कहा गया था कि बीचे सालों में यूपी में 500 मुठभेड़ हुई, जिसमें 58 मौतें हुई। इससे पहले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग भी राज्य सरकार को नोटिस जारी कर चुका था।
'पुलिस की कार्रवाई सही'
मुंबई पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट, अंडरवर्ल्ड की कमर तोड़ने वाले पूर्व पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा ने यूपी पुलिस की कार्रवाई को सही ठहराया है। शर्मा के मुताबिक जब कभी ऐसे एनकाउंटर होते हैं तो लोग सवाल उठाते हैं लेकिन जब 8 पुलिसकर्मी शहीद हुआ तो कई मानवाधिकार या एक्टिविस्ट सामने नहीं आया।
शर्मा ने एनकाउंटर को सही ठहराते हुए कहा कि ये असली एनकाउंटर है क्योंकि ड्राइवर को भी स्ट्रेस हो सकता है। बारिश के चलते गाड़ी स्लिप हुई और विकास ने पुलिस पर भी फायर किया। ऐसे में जवाबी कार्रवाई में वो मारा गया। पुलिस ने अच्छा काम किया है। शर्मा को गैंगस्टर लखन भैया के फेक एनकाउंटर में शामिल होने के आरोप में 2008 में निलंबित किया गया था।