यौन शोषण के मामले में जेल में बंद पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने जेल से सोमवार को एक पत्र भेजकर पुलिस अधीक्षक से पांच करोड़ की रंगदारी मांगने के आरोपी बलात्कार पीड़िता समेत चारों आरोपियों पर गैंगेस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की मांग की है। इसी के तहत चिन्मयानंद की वकील पूजा सिंह ने न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में एक आवेदन दायर किया है, जिसमें कहा गया है कि शाहजहांपुर पीड़िता के पिता सहित चार आरोपियों के खिलाफ जबरन वसूली मामले में गैंगस्टर एक्ट भी लगाया जाना चाहिए।
स्वामी चिन्मयानंद की सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता पूजा सिंह ने पीटीआई को बताया कि सीजेएम ओमवीर सिंह की अदालत में उन्होंने गैंगस्टर एक्ट लगाने के लिए जो प्रार्थना पत्र दिया था उस पर सुनवाई होने के बाद आदेश को सुरक्षित कर लिया गया है।
Chinmayanand's lawyer Pooja Singh on Shahjahanpur law student case: An application has been filed in the Court of Judicial Magistrate stating that the Gangster Act should also be invoked against
जेल अधिकारी ने बताया कि पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने उन्हें एक पत्र दिया है जिसमें उनसे पांच करोड़ की रंगदारी मांगने वाले आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की मांग की गयी। यह पत्र विभागीय डाक से पुलिस अधीक्षक शाहजहांपुर के पास भेज दिया गया था। स्वामी चिन्मयानंद की सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता पूजा सिंह ने यहां पीटीआई भाषा को बताया कि उन्होंने यहां सीजेएम ओमवीर सिंह की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया है जिसमें कहा गया है कि रंगदारी मांगने के आरोपियों पर गैंगस्टर लगाया जाना चाहिए। उसमें यह अनुरोध भी किया गया है कि न्यायालय इसे गैंगस्टर एक्ट की सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट को भेजें।
जानें चिन्मयानंद मामले के बारे में
स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय में पढ़ने वाली एलएलएम की छात्रा ने 24 अगस्त 2019 को एक वीडियो वायरल कर स्वामी चिन्मयानंद पर शारीरिक शोषण और कई लड़कियों की जिंदगी बर्बाद करने का आरोप लगाया।
वीडियो वायरल होने के बाद छात्रा लापता हो गई थी। 25 अगस्त को पीड़िता के पिता ने किडनैपिंग और जान से मारने की धाराओं में स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया था। जिसके बाद स्वामी चिन्मयानंद के वकील ने पांच करोड़ रुपए रंगदारी मांगने का भी मुकदमा दर्ज करा दिया था। मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पीड़िता को कोर्ट के समक्ष पेश किया गया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एसआईटी ने मामले की जांच शुरू की।