Santosh Deshmukh Murder Case: पुलिस ने बीड के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या में शामिल दो फरार आरोपियों को महाराष्ट्र के पुणे से गिरफ्तार किया है। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने सुदर्शन चंद्रभान घुले (26) और सुधीर सांगले (23) को गिरफ्तार कर उन्हें आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) के विशेष जांच दल (एसआईटी) को सौंप दिया है। एक पुलिस अधिकारी ने पहले बताया था कि दोनों को धुले से गिरफ्तार किया गया है लेकिन बाद में बीड पुलिस ने स्पष्ट किया कि गिरफ्तारियां पुणे में की गईं।
इसके साथ ही पुलिस ने हत्या में शामिल सात लोगों में से छह को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने पहले जयराम माणिक चांगे (21), महेश सखाराम केदार (21), प्रतीक घुले (24) और विष्णु चाटे (45) को गिरफ्तार किया था जबकि एक अन्य आरोपी अब भी फरार है। बीड जिले में केज तहसील स्थित मसाजोग गांव के सरपंच देशमुख को अगवा कर लिया गया था और नौ दिसंबर को उनकी हत्या कर दी गई थी।
एक पवन चक्की कंपनी से कुछ लोगों द्वारा जबरन वसूली किए जाने का विरोध करने को लेकर देशमुख की हत्या की गई। महाराष्ट्र के मंत्री धनंजय मुंडे के करीबी सहयोगी वाल्मीक कराड को जबरन वसूली मामले में गिरफ्तार किया गया है। फरार तीन आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए कई पुलिस दलों को तैनात किया गया था। उन्हें पकड़ने के लिए एक एसआईटी का गठन किया गया था।
अधिकारी ने बताया कि जांच दल ने फरार लोगों का पता लगाने के लिए तीन लोगों से पूछताछ की, मुखबिरों की मदद ली और प्रौद्योगिकी मदद से दोनों आरोपियों को पकड़ा। इस बीच, मारे गए सरपंच के भाई धनंजय देशमुख ने शनिवार को कहा कि मामले की जांच पारदर्शी होनी चाहिए और आरोपियों की मदद करने वाले लोगों के भी नाम उजागर किए जाने चाहिए।
धनंजय देशमुख ने पत्रकारों से कहा, ‘‘एक आरोपी अब भी फरार है, ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने हत्या से पहले और बाद में इन लोगों की मदद की है। अब यह स्पष्ट हो गया है कि यह एक संगठित अपराध है। इस मामले में आखिरी आरोपी के पकड़े जाने के बाद सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा। मामले में शामिल लोगों की संख्या भी बढ़ जाएगी।’’
उन्होंने कहा कि आरोपियों को पुणे से पकड़ा गया था। उन्होंने सवाल किया कि उनकी मदद कौन कर रहा था। उन्होंने कहा, ‘‘अभी तक सभी (आरोपी) पुणे में पकड़े गए हैं। इसका मतलब है कि वे सभी एक ही जगह पर थे। किसी ने उन्हें वहां सुरक्षित रखा था और इन आरोपियों की मदद करने वालों के नाम का खुलासा किया जाना चाहिए।’’