नई दिल्ली:मुंबई पुलिस ने सफलतापूर्वक जनवरी से लेकर जुलाई, 2024 तक साइबर क्राइम होने के बाद करीब 100 करोड़ की जब्ती की है। लेकिन, दूसरी तरफ आंकड़ें कहते हैं कि साइबर क्राइम से मुंबई वासियों ने करीब 650 करोड़ रुपए गंवा भी दिए हैं, जो कि एक बड़ा डाटा है। सामने आए डाटा के अनुसार साइबर क्राइम ब्रांच के नंबर 1930 पर अभी तक यानी जनवरी से लेकर जुलाई तक न्याय पाने के लिए साइबर क्राइम की चपेट में आए मुंबई के लोगों ने पुलिस को 36,000 कॉल की हैं।
साइबर क्राइम अधिकारियों के अनुसार, ऐसे घटित हुए फ्रॉड को लेकर महकमे में 36,000 कॉल आईं। इनके अलावा जो सबसे ज्यादा शिकायत प्राप्त हुई हैं, उनमें ट्रेडिंग से जुड़े निवेश को लेकर थी, फेडएक्स और दूसरे कोरियर स्कैम से जुड़ी कॉलें भी, डिजिटल अरेस्ट, ऑनलाइन टास्क फ्रॉड और कई शिकायतें प्राप्त हुईं। अधिकारी ने आगे बताया कि प्रक्रिया के तहत पुलिस ने तुरंत नोडल अधिकारियों को सूचित किया और उनका सहयोग लिया, इसमें बैंक, वॉलेट सुविधा मुहैया कराने वालों को और मर्चेंट को भी धरपकड़ करने में शामिल किया।
साइबर क्राइम विभाग के तहत अब तक साइबर पुलिस ने 100, 84,57,854 करोड़ रुपए रिकवर कर लिए हैं। ये सभी रिकवरी थर्ड पार्टी को ट्रांसफर होने से पहले की है। हालांकि, मुंबई वासी इस बीच अपने 650 करोड़ रुपए गंवा चुके हैं, जिसे साइबर पुलिस रिकवर करने में असफल रही। वहीं, पिछले साल पुलिस को मुंबई में ऐसे अपराधों से न्याय पाने के लिए करीब 91,357 कॉल आई, जिसमें कुल 262 करोड़ रुपए लोगों ने गंवाएं थे। अधिकारियों ने उसमें करीब 26 करोड़ रुपए थर्ड पार्टी को ट्रांसफर होने से पहले रिकवर भी किए थे।
बेहद अहम है आपके लिए गोल्डन आवरगौरतलब है कि पुलिस ने बताया कि ऐसे अपराधों से निपटने के लिए आप बस 1930 पर कॉल करें, इसके बाद रुपयों को रिकवर करने का काम हमारा है। अधिकारी की मानें तो करीब 3 पुलिस अधिकारी और 50 बैकहेंड में अधिकारी रोजाना तीन शिफ्ट में काम करते हैं। जैसे ही हमें कॉल आता है, वैसे ही अकाउंट को फ्रीज करने की प्रक्रिया में लग जाते हैं। इसे हम गोल्डन आवर में गिनते हैं, जो कि हमारे लिए बेहद अहम है, आपको बस अपराध के दो घंटे के भीतर ट्रांसफर हुए रुपयों की जांच और उसे रिकवर करने के लिए पुलिस को कॉल करना होता है, जिसे लेकर पुलिस की प्राथमिकता रहती है कि किसी भी तरह रिकवर कर लिया जाए। इन दो घंटों से ज्यादा समय बीत जाने पर माना जाता है कि अब रुपयों को रिकवर करने की संभावना बहुत कम हो जाती है।