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DELHI News: शैली थापर और बेटे के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज, बुजुर्ग महिला से 38 करोड़ रुपए ठगे!

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 13, 2024 14:58 IST

DELHI News: दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी इस मामले में बिल्डर को हिदायत दी है कि वह पीड़ित परिवार की आवाजाही में किसी तरह की बढ़ा उत्पन्न नहीं करेगा.

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ठळक मुद्देविवादित भूखंड पर किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप पर भी रोक लगा दी गई है. पूरा मामला वसंत कुंज के चर्च मॉल रोड पर मौजूद गोगिया फार्म है.

DELHI News: वसंत कुंज इलाके में दिव्यांग से धोखाधड़ी करना इलाके के चर्चित बिल्डर शैली थापर को महंगा पड गया है. करीब पांच महीने पहले बिल्डर ने एक दिव्यांग बुजुर्ग और उनकी पत्नी से धोखाधड़ी करके, करीब चार हजार गज संपत्ति की रजिस्ट्री करा ली थी ! आरोप है की इस मामले में राजस्व विभाग के अधिकारी भी बिल्डर के साथ मिले हुए थे. दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने बुजुर्ग महिला की शिकायत पर बिल्डर शैली थापर, उसके बेटे साहिर थापर, उसकी कंपनी RSS एस्टेट, दक्षिणी जिला के सब रजिस्ट्रार दफ्तर के अफसरों और अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है. उधर दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी इस मामले में बिल्डर को हिदायत दी है कि वह पीड़ित परिवार की आवाजाही में किसी तरह की बढ़ा उत्पन्न नहीं करेगा.

इसी के साथ विवादित भूखंड पर किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप पर भी रोक लगा दी गई है. यह पूरा मामला वसंत कुंज के चर्च मॉल रोड पर मौजूद गोगिया फार्म है. जिसके चार हजार गज के हिस्से को बेचने के लिए फार्म की मालिक बुजुर्ग मोनिका गोगिया ने बिल्डर शैली थापर से करार किया था. करार के तहत 38 करोड़ रुपये में हुए इस सौदे के लिए थापर ने 10 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान कर दिया.

बाकी रकम रजिस्ट्री से पहले देने का वायदा किया. इसके बाद 23 फरवरी को मोनिका गोगिया को महरौली सब रजिस्ट्रार दफ्तर ले जाकर दस्तावेजी औपचारिकता पूरी करा ली. जहां मोनिका गोगिया ने बकाया राशि का भुगतान नहीं होने तक सब रजिस्ट्रार के सामने पेश होकर रजिस्ट्री करने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया और वापस घर आ गई.

इसके बाद उन्हें शक हुआ तो उन्होंने 27 फरवरी को सब रजिस्ट्रार शोभा तौला और डीएम एम. चैतन्य प्रसाद के दफ्तर में मामले की शिकायत और पूरी जानकारी देकर रजिस्ट्री नहीं कराने की लिए गुहार लगाई. आरोप है कि मामले में मिलीभगत की आरोपी सब रजिस्ट्रार शोभा तौला ने आरोपी बिल्डर शैली थापर से मिलकर चाल चली और गोगिया को एक नोटिस देकर तीन दिन के भीतर जवाब देने के समय दिया. मगर 29 फरवरी को लिखा गया यह नोटिस ही उन्हें 2 मार्च को भेजा गया. जिससे सब रजिस्ट्रार की भूमिका स्पष्ट तौर पर संदिग्ध हो गई.

मोनिका गोगिया का आरोप है कि उन्होंने 4 मार्च की शाम मिले इस नोटिस का जवाब निर्धारित समय में दे दिया, बावजूद इसके सब रजिस्ट्रार ने तमाम तथ्यों को दरकिनार कर उनकी संपत्ति की रजिस्ट्रियां बिल्डर शैली थापर के नाम कर दी. आरोप है कि 08 मार्च को बिल्डर शैली थापर और करीब पांच दर्जन गुंडों के साथ गोगिया फार्म में जबरन घुस गया.

वहां अवैध तौर पर दीवार बनाकर उनका आने-जाने का रास्ता भी बंद कर दिया. पीड़ित ने इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय में गुहार लगाई और 09 मार्च को अदालत ने बिल्डर को आदेश दिया कि पीड़ित परिवार का रास्ता नहों रोकेगा और फैसला आने तक किसी तरह का निर्माण भी नहीं करेगा.

इस मामले में बिल्डर शैली थापर का कहना था कि 38 करोड़ रुपये में संपत्ति खरीदने के सौदे की मियाद 10 फरवरी को खत्म हो गई थी, जिसे थापर परिवार ने सार्वजनिक सूचना के माध्यम से 2 मार्च को खुद ही निरस्त भी कर दिया था. लिहाजा उस करार के तहत बकाया नहीं दिए जाने की बात गलत है. उनका कहना था कि उन्होंने 4 हजार गज के भूखंड के लिए बिना किसी नए करार के दो रजिस्ट्रियां कराई हैं.

यह करार और सौदा गोगिया और थापर के बीच आपसी सहमति से हुआ था. जब उनसे पूछ गया कि 38 करोड़ रुपये के पुराने सौदे के बाद एक महीने के भीतर कोई अपनी संपत्ति 10 करोड़ रुपये में क्यों और कैसे बेच सकता है? तो उन्होंने तर्क था कि यह आपसी सहमति से हुई रजिस्ट्री का मामला है.

राजस्व विभाग के अफसरों से मिलीभगत और बिल्डर शैली थापर द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न से परेशान होकर बुजुर्ग महिला ने मामले की शिकायत दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में कर दी. उनका आरोप है कि बिल्डर शैली थापर और उसका बेटा साहिर थापर भूमाफिया हैं और वह उनकी बची हुई करीब 95 करोड़ रुपए की संपत्ति पर भी कब्जे की चेष्टा कर रहे हैं.

EOW ने इस मामले में बिल्डर शैली थापर और उसके बेटे के साथ ही सब रजिस्ट्रार हौज खास के अफसरों के खिलाफ भी धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है. दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई कर रही न्यायाधीश नीना बंसल कृष्णा ने सोमवार को बिल्डर शैली थापर को पीड़ित परिवार का रास्ता नहीं रोकने का आदेश दिया है. साथ ही आदेश दिया है कि मामले का फैसला आने तक विवादित संपत्ति में तीसरे पक्ष का शामिल नहीं करेगा और यथास्थिति बनाए रखेगा.

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